पंजाब में हर साल की तरह इस बार भी पराली जलाने की घटनाएं रुक नहीं रही हैं. एक ओर जहां सरकार पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी ओर किसान संगठन सरकार से इसका स्थायी समाधान करने की मांग कर रहे हैं. किसान नेता प्रेम सिंह भंगू ने शनिवार को कहा कि पराली के निपटान के लिए किसानों को रियायती दरों पर मशीनरी दिए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
प्रेम सिंह भंगू ने एएनआई से बात करते हुए कहा, "हमने अपनी मांग रखी है कि मशीनरी रियायती दरों पर दी जानी चाहिए और सहकारी क्षेत्र को बेची जानी चाहिए. पराली की आग सबसे पहले किसानों को और फिर दूसरों को नुकसान पहुंचाती है. सरकार कोई सकारात्मक समाधान नहीं दे रही है.
जब हम धान की कटाई और गेहूं की बुवाई करते हैं तो हमारे पास मुश्किल से 10 से 12 दिन होते हैं और हमें उस दौरान बहुत काम करना पड़ता है. अगर उपज खेत में ही रह जाती है तो खेत की सफाई नहीं हो पाती. सरकार को हमारी मांगें पूरी करनी चाहिए, अन्यथा हमें मजबूरन पराली जलानी पड़ेगी.''
ये भी पढ़ें - पराली से ऐसे बनाएं चारा तो बढ़ जाएगा पशुओं का दूध, एक्सपर्ट ने बताया आसान तरीका
प्रेम सिंह भंगू ने कहा कि सरकार को पराली नहीं जलाने वाले किसानों को एमएसपी के अलावा बोनस भी देना चाहिए. सरकार हमेशा किसानों को दोषी ठहराती है. प्रदूषण हमारी वजह से नहीं, बल्कि अन्य कारणों से हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, केवल 6 प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने से होता है. हम केवल मजबूरी में ही पराली जलाते हैं.
भारतीय किसान यूनियन-कादियां (बीकेयू-कादियां) के प्रवक्ता रवनीत बराड़ ने कहा कि सरकार को किसानों को उनकी मांगों के अनुरूप मुआवजा देना चाहिए. उन्होंने कहा, "2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा था कि किसानों को बिना किसी कारण के दंडित नहीं किया जा सकता. हम सरकार से मुआवजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं. इससे पहले सरकार ने किसानों को ट्रैक्टरों पर सब्सिडी दी थी, लेकिन इससे किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ. हर साल अक्टूबर-नवंबर में सरकार जागती है और फिर दिसंबर में फिर सो जाती है. अगर सरकार सब्सिडी देना चाहती है तो पंजाब के गांवों में हर किसान को 2 ट्रैक्टर दे."
राष्ट्रीय लोक दल के नेता मलूक नागर ने पराली मुद्दे पर कहा कि सरकार को किसानों को ऐसा समाधान देना चाहिए कि वे पराली न जलाएं. सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए विदेश से बेहतर तकनीक लाने की जरूरत है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today