Mustard Price: किसान संगठन ने नकारा सरसों का MSP, खुद फिक्‍स किया इतना Rate, सरकार पर लगाया ये आरोप

Mustard Price: किसान संगठन ने नकारा सरसों का MSP, खुद फिक्‍स किया इतना Rate, सरकार पर लगाया ये आरोप

Sarson MSP RMS 2026-27: सरसों के MSP को नाकाफी बताते हुए किसान महापंचायत ने बड़ा फैसला लिया है. अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि किसान अब 6200 रुपये प्रति क्विंटल से MSP पर सरसों नहीं बेचेंगे. उनका कहना है कि लागत और बाजार भाव के हिसाब से MSP काफी कम है.

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किसान संगठन ने नकारा सरसों का MSP, खुद फिक्‍स किया इतना Rate, सरकार पर लगाया ये आरोपकिसान महापंचायत ने सरसों के एमएसपी को नकारा

किसानों को अपने ही उत्पाद के दाम तय करने का अधिकार दिलाने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है. किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने सरसों की कीमत को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि देशभर के किसान अब 6500 रुपये प्रति क्विंटल से कम दाम पर सरसों नहीं बेचेंगे. उनका कहना है कि जब तक कृषि उत्पादों का मूल्य निर्धारण किसान के अलावा कोई और करता रहेगा, तब तक किसान आर्थिक रूप से कमजोर ही बना रहेगा.

'गोदाम से निकलकर 7500 के भाव बिकी सरसों'

रामपाल जाट ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि हाल ही में सरसों व्यापारियों के गोदाम तक पहुंचने के बाद 7500 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकी है, जबकि सरकार ने विपणन वर्ष 2026-27 के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6200 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है.

यह MSP पिछले वर्ष के 5950 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में केवल 4.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी है, जबकि कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है. किसानों के अनुसार यह अंतर बताता है कि खेती की लागत और किसान की आय के बीच असंतुलन लगातार बढ़ रहा है.

संपूर्ण लागत फॉर्मूले का उठाया मुद्दा

उन्होंने कहा कि ए-2 + एफएल फार्मूले के अनुसार सरसों की लागत 3210 रुपये प्रति क्विंटल आती है. वहीं भारत सरकार की बजटीय घोषणा के अनुसार सी-2 संपूर्ण लागत 4558 रुपये प्रति क्विंटल मानी जाए तो उस पर डेढ़ गुना लाभ जोड़ने के बाद MSP 6837 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए. इसके बावजूद किसानों ने व्यवहारिक संतुलन दिखाते हुए सरसों का मूल्य 6500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है.

रामपाल जाट ने साफ कहा कि यह कोई अव्यावहारिक मांग नहीं बल्कि लागत, जोखिम और बाजार की वास्तविकता पर आधारित फैसला है. उन्होंने याद दिलाया कि पिछले वर्ष भी किसानों ने पहल करते हुए सरसों का न्यूनतम भाव 6000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था. उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए इस साल फिर सामूहिक मूल्य निर्धारण किया गया है.

किसान महापंचायत ने किसानों से की ये अपील

किसान महापंचायत का मानना है कि अगर किसान संगठित होकर अपनी उपज का दाम खुद तय करता है तभी खेती को घाटे के सौदे से बाहर निकाला जा सकता है. उन्होंने सभी किसानों से अपील की कि वे एकजुट रहें और 6500 रुपये प्रति क्विंटल से कम दाम पर सरसों न बेचें. संगठन ने कहा कि यही रास्ता किसानों के बेचारापन को खत्म करने और खेती को सम्मानजनक आजीविका बनाने का है.

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