होसुर में किसान कार्यक्रम के दौरान सद्गुरु और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Photo: ITG) तमिलनाडु के होसुर में किसानों का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए. बीजेपी, कांग्रेस, AIADMK और DMK जैसे दलों के प्रतिनिधि एक ही मंच पर नजर आए. यह अपने आप में खास बात थी, क्योंकि खेती जैसे अहम मुद्दे पर सभी ने एकजुट होकर बात की. इस मंच से किसानों के हक और खेती से जुड़े कानूनों पर खुलकर चर्चा हुई.
कार्यक्रम में सद्गुरु ने किसानों के पक्ष में बहुत सरल और मजबूत बात रखी. उन्होंने कहा कि खेती की ज़मीन पर जो भी उगता है, वह पूरी तरह से किसान का होना चाहिए. सद्गुरु ने बताया कि आज भी कई ऐसे कानून हैं, जो अंग्रेजों के ज़माने में बने थे. इन कानूनों में किसान को उसकी ज़मीन और पेड़ों पर पूरा अधिकार नहीं मिलता. सद्गुरु ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील की कि इन पुराने कानूनों में बदलाव किया जाए, ताकि किसान को उसका पूरा हक मिल सके.
सद्गुरु ने मंच से कहा कि राजनीति का असली मकसद लोगों की सेवा करना होता है. उन्होंने कहा कि खाना और पानी हमारी ज़िंदगी का आधार हैं और खेती इन दोनों से जुड़ी है. इसलिए खेती के मुद्दे पर अलग-अलग राय नहीं होनी चाहिए. उन्होंने खुशी जताई कि सभी पार्टियों के नेता एक साथ, एक ही सोच के साथ मंच पर मौजूद हैं. उनके अनुसार, यह किसानों के भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत है.
इस कार्यक्रम में 10,000 से ज्यादा किसान शामिल हुए. किसान दूर-दूर के गांवों से आए थे. सभी किसान ध्यान से नेताओं और सद्गुरु की बातें सुन रहे थे. किसानों को उम्मीद है कि अगर कानून बदले जाएंगे, तो उनकी मेहनत की सही कीमत मिलेगी और उनका जीवन आसान होगा. कार्यक्रम में किसानों ने खेती, पानी और ज़मीन से जुड़े अपने अनुभव भी साझा किए.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मौके पर सद्गुरु के “कावेरी कॉलिंग” आंदोलन की तारीफ की. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कावेरी नदी को फिर से जीवित करने के लिए शुरू किया गया था. आज यह एक बड़ा जन आंदोलन बन चुका है. इस आंदोलन से नदियों को बचाने के साथ-साथ किसानों को भी फायदा होगा. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हित में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.
इस पूरे कार्यक्रम का संदेश बहुत आसान और साफ था. किसान देश का पेट भरता है, इसलिए उसकी ज़मीन और उस पर उगने वाली हर चीज़ पर उसका पूरा अधिकार होना चाहिए. अगर पुराने कानूनों में बदलाव होता है, तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी और खेती को नई ताकत मिलेगी. यह कदम आने वाले समय में किसानों और देश दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
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