डल्लेवाल का इलाज लेने से इनकार, डॉक्टरों ने कहा-तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत

डल्लेवाल का इलाज लेने से इनकार, डॉक्टरों ने कहा-तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत

भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के अध्यक्ष डल्लेवाल फरीदकोट के डल्लेवाल गांव के रहने वाले हैं. अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने से पहले उन्होंने अपनी संपत्ति अपने बेटे, बहू और पोते के नाम कर दी थी. उनकी पत्नी का इस साल जनवरी में निधन हो गया था. डल्लेवाल की बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा थी, जिसने अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था.

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डल्लेवाल का इलाज लेने से इनकार, डॉक्टरों ने कहा-तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरतकिसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल

पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जांच कर रहे डॉक्टरों ने उनके बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी है. हालांकि, उन्होंने कोई भी इलाज लेने से इनकार कर दिया है. डल्लेवाल की भूख हड़ताल सोमवार को 21वें दिन में प्रवेश कर गई है.  70 साल के डल्लेवाल कैंसर के मरीज हैं और वे केंद्र पर आंदोलनकारी किसानों की मांगों को मनवाने के लिए पंजाब-हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं. 

किसानों की मांगों में सबसे प्रमुख फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी शामिल है. डल्लेवाल के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी साझा करते हुए डॉ. अवतार सिंह ने कहा, "टेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ रहा है और जीएफआर (ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट) गिर रहा है. कीटोन भी उच्च स्तर पर हैं, जिसका अर्थ है कि उनकी हालत काफी खराब है."

डॉक्टर की क्या है सलाह

डॉ. सिंह, जो 5 रिवर्स हार्ट एसोसिएशन नामक एक गैर सरकारी संगठन के डॉक्टरों की टीम का हिस्सा हैं, ने कहा कि डल्लेवाल ने कुछ भी नहीं खाया है. वह सिर्फ पानी पी रहे हैं. पेशाब में कीटोन बताता है कि शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज के बजाय वसा का उपयोग कर रहा है. क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट पदार्थ है जो तब बनता है जब एक्टविटी के दौरान मांसपेशियों की कोशिकाएं टूट जाती हैं. गुर्दे खून से क्रिएटिनिन को निकालते हैं और इसे पेशाब में डालते हैं. लेकिन जब गुर्दे ठीक से काम नहीं करते हैं, तो क्रिएटिनिन खूब में जमा हो जाता है. ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट से पता चलता है कि गुर्दे कितनी अच्छी तरह से फ़िल्टर कर रहे हैं.

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डॉ. सिंह ने कहा कि डल्लेवाल इतने कमजोर हो गए हैं कि वे खुद खड़े नहीं हो सकते और उन्हें सहारे की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले उनका ब्लड प्रेशर 80/50 के बीच दर्ज किया गया था, जो अच्छा संकेत नहीं है. उन्होंने आगे कहा, "हृदय गति रुकने की संभावना है." डॉक्टरों ने डल्लेवाल की निगरानी के लिए विरोध स्थल पर मेडिकल मशीनें लगाई हैं. कुछ दिन पहले, ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. करण जटवानी ने डल्लेवाल की जांच करने के लिए खनौरी बॉर्डर का दौरा किया था.

अन्ना हजारे का टूटा रिकॉर्ड

डल्लेवाल से लंबे समय से जुड़े किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि वे पांच बार भूख हड़ताल कर चुके हैं. लेकिन इस बार डल्लेवाल का अनशन 2011 में भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हजारे की 13 दिन की भूख हड़ताल से भी लंबा हो गया है. डल्लेवाल किसानों के मुद्दों के समर्थन में मार्च 2018, जनवरी 2019 और 2021, नवंबर 2022 और जून 2023 में भी अनशन कर चुके हैं. 

इससे पहले पंजाब पुलिस प्रमुख गौरव यादव और गृह मंत्रालय के निदेशक मयंक मिश्रा ने रविवार को डल्लेवाल से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली. कोहाड़ ने कहा कि डल्लेवाल ने यादव और मिश्रा से कहा कि सरकारों की "गलत नीतियों" के कारण आत्महत्या करने वाले 7 लाख किसानों का जीवन उनके जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि डल्लेवाल अपना अनशन तभी तोड़ेंगे जब किसानों की मांगें मान ली जाएंगी. 

इन मांगों पर अड़े किसान

उन्होंने कहा, "अगर केंद्र सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती है तो डल्लेवाल अपने जीवन का बलिदान देने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं." कुछ दिन पहले डल्लेवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि हर किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाना जीने के मौलिक अधिकार की तरह है. उन्होंने पत्र में लिखा, "मैंने किसानों की मौत को रोकने के लिए अपने प्राण त्यागने का फैसला किया है. मुझे उम्मीद है कि मेरी मौत के बाद केंद्र सरकार अपनी नींद से जागेगी और एमएसपी पर कानून समेत हमारी 13 मांगों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ेगी." 

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भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के अध्यक्ष डल्लेवाल फरीदकोट के डल्लेवाल गांव के रहने वाले हैं. अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने से पहले उन्होंने अपनी संपत्ति अपने बेटे, बहू और पोते के नाम कर दी थी. उनकी पत्नी का इस साल जनवरी में निधन हो गया था. डल्लेवाल की बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा थी, जिसने अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था. लेकिन एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल द्वारा 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए संयुक्त समाज मोर्चा का गठन करने के बाद यह समूह से अलग हो गया. डल्लेवाल ने बाद में समान विचारधारा वाले किसान नेताओं को शामिल करके एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का गठन किया.

 

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