खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन को लेकर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है. कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा ने कहा, डल्लेवाल साहब की सेहत बहुत नाजुक है, हो सकता है कोई भी दुर्घटना हो सकती है. मैं देश की सरकार को ये चेतावनी देना चाहता हूं कि अगर डल्लेवाल साहब को कुछ हुआ तो फिर पंजाब रुकेगा नहीं, इस देश के किसान रुकेंगे नहीं, फिर आपकी कुर्सी सुरक्षित नहीं रहेगी.
इसी के साथ कांग्रेस सांसद और पार्टी के पंजाब प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने पहुंचे. उन्होंने कहा, "डल्लेवाल साहब की हालत इस समय बहुत नाजुक है, क्योंकि उन्होंने 21 दिनों से कुछ नहीं खाया है. मैं भारत सरकार को चेतावनी देना चाहता हूं कि अगर डल्लेवाल साहब को कुछ हुआ तो पंजाब के लोग और देश के किसान चुप नहीं बैठेंगे. फिर आपकी कुर्सी सुरक्षित नहीं रहेगी. मैं धमकी दे रहा हूं, लेकिन सलाह दे रहा हूं...केंद्रीय गृह मंत्री और पंजाब के सीएम को यहां आकर किसानों से बात करनी चाहिए..."
एक दिन पहले कांग्रेस नेता विनेश फोगाट भी खनौरी बॉर्डर पहुंची थीं. खनौरी बॉर्डर पर विनेश फोगाट ने कहा, "वह (किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल) दूसरों के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं...मैं पंजाब, हरियाणा और पूरे देश के लोगों से इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का आग्रह करती हूं. देश में आपातकाल जैसी स्थिति है. सरकार को इसका समाधान निकालना होगा और पीएम मोदी बहुत बड़े-बड़े भाषण देते हैं, कल भी उन्होंने संसद में भाषण दिया. लेकिन अब भाषण देने के अलावा भी कुछ करना होगा. हम सभी को यह दिखाने के लिए आगे आने की जरूरत है कि हम एकजुट हैं..."
पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने रविवार को कहा कि उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को पत्र लिखकर पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ हाथ मिलाने को कहा है. इन किसानों की मांगों में फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी भी शामिल है. एसकेएम नेता राकेश टिकैत ने केंद्र पर अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसानों से "संयुक्त लड़ाई" के लिए एकजुट होने का आह्वान किया था.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 'दिल्ली चलो मार्च' की अगुवाई कर रहे हैं. वे 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. हरियाणा पुलिस के जवानों द्वारा दिल्ली की ओर उनके मार्च को रोक दिए जाने के बाद से ही वे यहां डेरा डाले हुए हैं. 101 किसानों के एक "जत्थे" ने 6 दिसंबर और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली में घुसने का दो प्रयास किया. हरियाणा में सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी.
हालांकि, एसकेएम, जिसने अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था, 'दिल्ली चलो' मार्च के आह्वान का हिस्सा नहीं था. शंभू बॉर्डर पर मीडिया को संबोधित करते हुए पंधेर ने कहा, "हमने उन भाइयों की तरफ हाथ बढ़ाया है जो दिल्ली आंदोलन-2 (दिल्ली चलो मार्च) में भाग नहीं ले सके. हमने उनसे किसानों और मजदूरों के हित में जो भी मतभेद (यूनियनों के बीच) हैं, उन्हें भूलने के लिए कहा."
उन्होंने आगे कहा, "हमने अपने भाइयों को एक पत्र लिखा है. हम उनसे (एसकेएम) सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद करते हैं." पत्र में पंधेर ने कहा कि उन्होंने चल रहे आंदोलन की शुरुआत से पहले एकता का प्रयास किया था, लेकिन कई कारणों से तब प्रयास सफल नहीं हो सके.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today