पंजाब और हरियाणा की सीमा पर किसान एमएसपी की गारंटी वाला कानून लाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं तो वहीं सोमवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाला और सरकार से विश्व व्यापार संगठन से अलग होने की मांग उठाई. जेवर के आसपास के तमाम ग्रामीण किसानों ने सैकड़ो की संख्या में ट्रैक्टर उतरे और उन्हें लेकर यमुना एक्सप्रेसवे की और बढ़ने लगे लेकिन पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर समेत यमुना एक्सप्रेसवे के पहले ही रोक लिया और किसान टोल पर ही धरने पर बैठ गए. इस सांकेतिक धरने में किसानों ने न सिर्फ एमएसपी की मांग उठाई बल्कि यह भी मांग की कि भारत सरकार विश्व व्यापार केंद्र से अलग हो जाए ताकि वह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बंदिशों से मुक्त रहे.
इस बार किसान आंदोलन के 10 सबसे प्रमुख मुद्दों में एक मुद्दा विश्व व्यापार केंद्र से अलग होना भी शामिल है. सुनने में एक बार को अटपटा लग सकता है कि आखिर दुनिया के सबसे बड़े और इकलौते वैश्विक व्यापार नीतियों पर नजर रखने वाली संस्था विश्व व्यापार संगठन से भारत को अलग होने की मांग कोई कैसे उठा सकता है. दरअसल, विश्व व्यापार संगठन दुनिया भर में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी मुक्त व्यापार समझौते को बढ़ावा देते हुए बाजार में संतुलन बनाए रखना संबंधित नीतियां बनाते हैं और इसी के लिए वह लगातार विकासशील देशों पर दबाव बनाता रहा है कि किसानों को मिलने वाली सरकारी सहायता सीमित हो जाए और उसे काम किया जाए ताकि बाजार का संतुलन बना रहे.
भारतीय किसान यूनियन के बैनर तरह जिन किसानों ने ट्रैक्टर निकाला उन किसान नेताओं की मांग रही है कि भारत किसी भी हाल में अमेरिका जैसे विकसित देशों के दबाव में आकर के वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन की मांगों से ना दबे क्योंकि इससे भारतीय किसानों के हितों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारतीय किसान यूनियन के नेता पवन खटाना ने आज तक से बातचीत करते हुए कहा की वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन की नीतियों से अमेरिका जैसे बड़े-बड़े देशों के बड़े औद्योगिक घराने भारत में आ सकते हैं लेकिन इसका असर भारतीय किसान और उनके उत्पादों पर पड़ेगा क्योंकि भारत में प्रति किसान भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि बेहद कम है जबकि अमेरिका में किसानों को 40000 डॉलर तक की सब्सिडी मिलती है.
पवन खटाना ने कहा कि भारतीय किसान अलग परिस्थितियों में है इसलिए उन्हें सब्सिडी मिलती है लेकिन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत विश्व व्यापार संगठन भारत जैसे देशों पर दबाव बनाएगी कि वह किसानों को दी जाने वाली सहायता कम करें जिससे भारत के ज्यादातर गरीब किसानों की आय पर नकारात्मक असर पड़ेगा. ट्रैक्टर मार्च में आए कई किसानों से आज तक ने बातचीत की और उसमें से लगभग किसी को भी विश्व व्यापार संगठन या फ्री ट्रेड एग्रीमेंट जैसे मुद्दों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
हमने यही सवाल भारतीय किसान यूनियन के नेता पवन खटाना ने जवाब दिया कि ज्यादातर किसान इन वैश्विक नीतियों और संगठनों के बारे में नहीं जानते इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि अब छोटे-छोटे सेमिनार और दूसरे आयोजनों के मदद से जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे ताकि हमारे किसान भी शिक्षित हो सकें.
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