लेटरल एंट्री के जरिये ICAR में हुई 2700 वैज्ञानिकों की नियुक्ति, कांग्रेस सरकार के समय से ही हो रहीं भर्तियां

लेटरल एंट्री के जरिये ICAR में हुई 2700 वैज्ञानिकों की नियुक्ति, कांग्रेस सरकार के समय से ही हो रहीं भर्तियां

प्रस्ताव में कहा गया है कि हम वैज्ञानिकों ने आईसीएआर में 25 साल से अधिक समय तक काम किया है. हम लोगों की भर्ती परीक्षा के माध्यम से हुई थी. इसके बावजूद भी हमें सेमी आरएमपी और आरएमपी पद नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि लेटरल एंट्री के जरिये भर्ती किए गए वैज्ञानिक उनके हक को खा रहे हैं.

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लेटरल एंट्री के जरिये ICAR में हुई 2700 वैज्ञानिकों की नियुक्ति, कांग्रेस सरकार के समय से ही हो रहीं भर्तियांICAR में लेटरल एंट्री के जरिये भर्ती. (सांकेतिक फोटो)

देश में इस समय आरक्षण पर बवाल मचा हुआ है. लेटरल एंट्री के जरिये सरकारी नौकरियों में हायरिंग को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. विपक्ष के तमाम नेताओं का कहना है कि लेटरल एंट्री की मदद से आरक्षण को खत्म किया जा रहा है. एससी/एसटी और ओबीसी के साथ हकमारी हो रही है. इससे सरकारी नौकरियों में इन वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व कम हो रहा है. लेकिन इसी बीच लेटरल एंट्री को लेकर एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है. कहा जा रहा है कि देश के सबसे बड़े कृषि अनुसंधान निकाय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में लेटरल एंट्री के जरिये सीनियर पोस्ट पर वैज्ञानिकों की भर्तियां की गई हैं. खास बात यह है कि ये भर्तियां कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार के समय से ही हो रही हैं और इसमें आरक्षण को दरकिनार किया गया है.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में विभागाध्यक्ष, एडीजी, डीडीजी सहित 2700 से अधिक वैज्ञानिकों की नियुक्ति लेटरल एंट्री की जरिये की गई है. बड़ी बात यह है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में साल 2007 में ही अधिकांश बड़े पदों पर लेटरल एंट्री जरिये वैज्ञानिकों की भर्ती की गई है. यानी इनकी नियुक्ति सिर्फ इंटरव्यू के जरिये की गई है. ऐसे में प्रतियोगी परीक्षा के जरिये भर्ती किए गए वैज्ञानिकों का संगठन 'कृषि अनुसंधान सेवा वैज्ञानिक मंच' ने लेटरल एंट्री का विरोध शुरू कर दिया है. इन लोगों ने एक प्रस्ताव पारित कर लेटरल एंट्री पर बैन लगाने की मांग की है.

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कृषि अनुसंधान सेवा वैज्ञानिक मंच से जुड़े हैं 3750 वैज्ञानिक 

'कृषि अनुसंधान सेवा वैज्ञानिक मंच' से 3750 वैज्ञानिक जुड़े हुए हैं. इन वैज्ञानिकों का कहना है कि आईसीएआर की अपने अनुसंधान और नई-नई खोजों के लिए विश्व में अलग पहचान है. लेकिन लेटरल एंट्री सिस्टम लागू होने से वैज्ञानिकों में दो समूहन बन सकते हैं. इससे आपस में दूरियां बढ़ जाएंगी. इससे आईसीएआर का माहौल खराब हो जाएगा. उनके मुताबिक, लेटरल एंट्री सिस्टम की क्वालिटी को प्रभावित कर रहा है. इसलिए इसके ऊपर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है.

वैज्ञानिकों को नहीं मिल रहे आरएमपी और आरएमपी पद

प्रस्ताव में कहा गया है कि हम वैज्ञानिकों ने आईसीएआर में 25 साल से अधिक समय तक काम किया है. हम लोगों की भर्ती परीक्षा के माध्यम से हुई थी. इसके बावजूद भी हमें सेमी आरएमपी और आरएमपी पद नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि लेटरल एंट्री के जरिये भर्ती किए गए वैज्ञानिक उनके हक को खा रहे हैं. साथ ही प्रस्ताव में कहा गया है कि आईसीएआर में लेटरल एंट्री सिस्टम एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण प्रदान नहीं करती है, जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बीच कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) के 2007 से लागू नियमों का उल्लंघन है.

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