फिर से महंगा हुआ लहसुन, एक हफ्ते में ही 500 रुपये किलो हो गई कीमत, इस वजह से बढ़ा रेट

फिर से महंगा हुआ लहसुन, एक हफ्ते में ही 500 रुपये किलो हो गई कीमत, इस वजह से बढ़ा रेट

बेंगलुरु थोक लहसुन व्यापारी संघ के सचिव दीपक जे शाह ने कहा कि लहसुन की बुवाई सितंबर से अक्तूबर के बीच की जाती है, जबकि मार्च महीने में इसकी कटाई शुरू हो जाती है. इस साल मार्च महीने से ही भीषण गर्मी पड़ने लगी. इससे यूपी और गुजरात में लहसुन की फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है.

Advertisement
फिर से महंगा हुआ लहसुन, एक हफ्ते में ही 500 रुपये किलो हो गई कीमत, इस वजह से बढ़ा रेटइस शहर में बहुत महंगा हुआ लहसुन. (सांकेतिक फोटो)

लहसुन की कीमत में एक बार फिर से बढ़ोतरी शुरू हो गई है. इससे बेंगलुरु के होलसेल मार्केट में ही यह 350 से 400 रुपये किलो हो गया है. जबकि खुदरा मार्केट में आते-आते इसकी कीमत 500 रुपये किलो के करीब पहुंच गई है. खास बात यह है कि पिछले एक हफ्ते के अंदर इसके रेट में करीब 60 रुपये प्रति किलो की दर से बढ़ोतरी हुई है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. कहा जा रहा है कि अधिक कीमत होने के चलते कई लोगों ने लहसुन खरीदना ही छोड़ दिया है.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल दूसरी बार ऐसा हुआ है, जब लहसुन का होलसेल रेट 400 रुपये किलो के करीब पहुंचा है. इससे पहले फरवरी में बुवाई-कटाई में देरी के कारण बाजारों में लहसुन 400-500 रुपये प्रति किलो बिक रहा था. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि इस बार भीषण गर्मी के कारण नई फसल की क्वालिटी प्रभावित हुई है. हालांकि, बेंगलुरु में लहसुन की सप्लाई मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश से होती है. लेकिन अभी बारिश के चलते लहसुन आपूर्ति में गिरावट आई है. इससे कीमतें बढ़ रही हैं.

ये भी पढ़ें- मक्के के भुट्टों की तुड़ाई सुबह करें या शाम में, किसान इन 4 बातों का रखें ध्यान

मध्य प्रदेश से लहुनस की सप्लाई

बेंगलुरु थोक लहसुन व्यापारी संघ के सचिव दीपक जे शाह ने कहा कि लहसुन की बुवाई सितंबर से अक्तूबर के बीच की जाती है, जबकि मार्च महीने में इसकी कटाई शुरू हो जाती है. इस साल मार्च महीने से ही भीषण गर्मी पड़ने लगी. इससे यूपी और गुजरात में लहसुन की फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. ऐसे में अभी मध्य प्रदेश और राजस्थान से ही पूरे देश में लहसुन की सप्लाई हो रही है, जिससे आपूर्ति में कमी आई है. 

प्याज की कीमत में 15 रुपये की बढ़ोतरी

कुछ ऐसा ही हाल प्याज के साथ भी है. आपूर्ति में गिरावट के चलते होलसेल मार्केट में ही प्याज की कीमत में 10 से 15 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है. बेंगलुरु के प्याज व्यापारी संघ के सचिव बी रविशंकर ने कीमतों में वृद्धि के लिए कर्नाटक में फसलों के नुकसान और महाराष्ट्र के आपूर्तिकर्ताओं द्वारा स्टॉक जमा करने को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के किसान मई-जून में प्याज की कटाई करते हैं और उसका स्टॉक कर लेते हैं. जब बारिश होती है तो वे इसे छोटे-छोटे बैचों में बाजार में उतारते हैं. वहीं, इस बार कई जगहों पर 50 फीसदी प्याज की फसलें खराब हो गई हैं. कर्नाटक के किसान अगस्त में प्याज की कटाई करते हैं, लेकिन बारिश के कारण कुछ खराब हो गया है. बी रविशंकर ने कहा कि ऐसे में हमें उम्मीद है कि सितंबर में जो प्याज काटा जाएगा वह अच्छी गुणवत्ता का होगा.

ये भी पढ़ें-  इस खास तकनीक से बढ़ेगी आम की क्वालिटी, किसानों को मिलेगा अच्छा लाभ

100 में डेढ़ किलो मिल रहा प्याज

बी रविशंकर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगर भारी बारिश नहीं हुई तो अगले हफ़्ते कीमतों में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि अगर सितंबर से पहले भारी बारिश हुई और फसल बर्बाद हो गई तो कीमतें फिर से बढ़ जाएंगी. अगर बारिश नहीं हुई तो अगले हफ़्ते कीमतों में कमी आएगी. मादिवाला बाज़ार में खरीदारी करने वाले ब्रमारा ने कहा कि 10 दिन पहले मैं 100 रुपये में तीन किलो प्याज़ खरीद पाया था, लेकिन आज 100 में सिर्फ़ डेढ़ किलो प्याज़ खरीद पाया. मुझे उम्मीद है कि अगले हफ़्ते कीमतें कम हो जाएंगी. इस बीच, मॉनसून की वजह से धनिया और पालक जैसी कुछ हरी पत्तेदार सब्ज़ियों की कीमतों में भी उछाल आया है. गुणवत्ता के आधार पर धनिया का एक गुच्छा 40 से 80 रुपये में बिक रहा है. जबकि पालक 40 से 50 रुपये प्रति गुच्छा बिक रहा है.


 

POST A COMMENT