लोकसभा चुनावों के 4 जून को आए नतीजों के बाद आंध्र प्रदेश की तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के मुखिया चंद्रबाबू नायडू का कद केंद्र की राजनीति में काफी बढ़ गया है. अगर नायडू अब किंगमेकर की स्थिति में है तो एक और शख्स है जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और वह शख्स है तेलगु इंडस्ट्री के सुपरस्टार पवन कल्याण. पवन कल्याण की जनसेना पार्टी (जेएसपी) भी अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. पवन कल्याण पिछले 10 सालों से खुद को राजनीति में मजबूत करने में लगे थे. उनकी मेहनत अब जाकर कहीं सफल हुई और आज वह न सिर्फ एनडीए बल्कि नरेंद्र मोदी के लिए भी काफी अहम हो गए हैं.
13 मई को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में अपना लोकसभा नामांकन दाखिल किया तो उनके साथ एनडीए के कई राजनेता थे. उनमें से एक सबसे अलग थे - पवन कल्याण जो साल 2014 में शुरू हुई पार्टी जेएसपी के मुखिया हैं. हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनावों के नतीजों से साफ है कि यह यूं ही नहीं था कि पवन कल्याण जैसे नए राजनेता को एनडीए में जगह मिली. पवन कल्याण की जेएसपी ने लोकसभा की दोनों सीटों पर जीत हासिल की. पार्टी लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हुए विधानसभा चुनावों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. उसने सभी 21 सीटों पर जीत हासिल की और वाईएसआरसीपी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया.
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जेएसपी ने टीडीपी और बीजेपी के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा. कल्याण का प्रभाव चुनावों में दो मोर्चों पर महसूस किया गया. कल्याण ने कापू समुदाय के मतदाताओं को टीडीपी-बीजेपी गठबंधन से जोड़ने वाले लिंक के तौर पर काम किया. कल्याण इसी समुदाय से आते हैं. साथ ही उन्होंने बड़ी संख्या में युवा मतदाताओं को प्रचार रैलियों और मतदान केंद्रों तक लाने का काम भी किया. टीडीपी को पारंपरिक तौर पर राजनीतिक रूप से शक्तिशाली कम्मा जाति के नेताओं की पार्टी के तौर पर जाना जाता है.
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कापू समुदाय आंध्र प्रदेश की आबादी का 18 फीसदी हिस्सा हैं. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि कल्याण टीडीपी के बीच की खाई को पाटने में कामयाब रहे. ऐसा करके, उन्होंने आंध्र प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया. कम्मा समुदाय राज्य की आबादी का सिर्फ 6 फीसदी है. कम्मा और कापू के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता सन् 1980 के दशक से चली आ रही है.
1980 के दशक में टीडीपी ने जो कापू वोट खो दिए थे, वो कांग्रेस को कभी वापस नहीं मिले. साल 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के सफाए के बाद, कापू वोट आंशिक तौर पर वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को चले गए. टीडीपी के प्रवक्ता सुशांत सुबुद्धि ने कहा था, 'इस बार कापू समुदाय पवन कल्याण के पीछे खड़ा है और इससे टीडीपी-बीजेपी गठबंधन को मदद मिली है. वाईएसआरसीपी ने कई मौकों पर कल्याण को खारिज किया है और उनके अभियान को ड्रामा करार दिया.
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साल 2019 के लोकसभा चुनावों में कल्याण की जेएसपी ने राज्य की 25 में से 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें से पांच सीटों - काकीनाडा, राजमुंदरी, अमलापुरम, नरसापुरम और विशाखापत्तनम - पर पार्टी तीसरे स्थान पर रही. वहीं टीडीपी दूसरे स्थान पर रही. लेकिन इस साल, इन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में, जेएसपी ने बीजेपी-टीडीपी गठबंधन के पक्ष में वोटों को मोड़ने में कामयाबी हासिल की. जेएसपी के एक नेता ने कहा कि कल्याण के पार्टी कार्यक्रमों में जीत के बाद का माहौल जोश से भरा है.
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