18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आ गए. ये नतीजे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए मायूसी लेकर आए. बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन बहुमत में तो आया लेकिन पार्टी का प्रदर्शन उम्मीदों के विपरीत रहा. पार्टी अकेले दम पर 272 का आंकड़ा छूने में भी कामयाब नहीं हो सकी. इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने 543 में से 292 सीटें हासिल कीं, जो बहुमत के आंकड़े से 20 अधिक है. इन चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन साल 2014 और 2019 के पार्टी के शानदार प्रदर्शन के विपरीत है. साथ ही पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से दिया गया, 'अबकी बार 400 पार' का नारा भी पूरी तरह से फेल हो गया.
वहीं विशेषज्ञ पार्टी की हार के पीछे की वजहों का विश्लेषण करने में लगे हैं. उनका मानना है कि रूझान और नतीजों को देखकर ऐसा लगता है कि अगर 32 सीटों पर 609,639 अतिरिक्त वोट्स से बीजेपी बहुमत हासिल कर सकती थी. चंडीगढ़ में बीजेपी सिर्फ 2,504 वोटों से जीत से चूक गई. वहीं उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में हार का अंतर केवल 2,629 वोटों का था. उत्तर प्रदेश के सलेमपुर, में हार का अंतर 3,573 वोट था. धुले, महाराष्ट्र में 3,831 वोट और धौरहरा, उत्तर प्रदेश में पार्टी सिर्फ 4,449 वोट्स से हार गई. इस छोटे लेकिन बड़े अंतर ने पार्टी को बहुमत से दूर कर दिया.
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विशेषज्ञों की मानें तो ये अंतर यह बताने के लिए काफी है कि पार्टी को पूरी तरह से कमजोर क्यों नहीं कहा जा सकता है. दक्षिण गोवा में 13,535 वोट, तिरुपति, आंध्र प्रदेश 14,569 वोट और तिरुवनंतपुरम, केरल में 16,077 वोट जैसी जगहों पर हार के अंतर बड़े थे लेकिन अगर पिछले रिकॉर्ड से इनकी तुलना की जाए तो यह भी छोटे ही नजर आते हैं. इन मामूली हारों में सबसे ज्यादा अंतर 33,199 वोटों के साथ यूपी के फतेहपुर में और 34,329 वोटों के साथ खीरी जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में रहा. चुनाव जानकारों की मानें तो आने वाले समय में चुनावों को ध्यान में रखते हुए, ये कुछ ऐसी सीटें हैं, जहां बीजेपी मामूली हार को जीत में बदल सकती है.
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यूपी में 2019 के चुनाव में जो 62 सीटें जीती थीं, उनमें से 27 पर उसे हार का सामना करना पड़ा है. इन सीटों पर एसपी के उम्मीदवार विजेता बनकर उभरे. एसपी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है. अपनी सीटें हारने वाली प्रमुख हस्तियों में अमेठी से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, खीरी से केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा और सुल्तानपुर से मेनका गांधी शामिल हैं. बीजेपी ने अपने दम पर 240 लोकसभा सीटें जीतीं और एनडीए के खाते में कुल 293 सीटें आई हैं. यह आंकड़ा 543 सदस्यों वाली लोकसभा में बहुमत के लिए जरूरी 272 के आंकड़ें से ज्यादा है. इसकी वजह से नरेंद्र मोदी के लिए लगातार तीसरी बार शपथ लेकर पीएम बनने का साफ हो गया है. यह सन् 1962 के बाद से पहली बार होगा जब कोई राजनेता लगातार तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेगा.
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