उत्तर भारत में इस वक्त शीतलहर लहर का प्रकोप जारी है साथ ही इन इलाकों में घने कोहरे ने पेशानी और बढ़ा दी है. आईएमडी के अनुसार अगले तीन दिनों तक ठंड की यही स्थिति रहनेवाली है औऱ ठड से राहत नहीं मिलने वाली है. इसके अलावा दिन में बादल के काऱण धूप नहीं निकलेगी और दिन भी अधिक ठंडे रहेंगे. इस दौरान उत्तर भारत का अधिकताम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहने की संभावना है. हालांकि सात जनवरी से तापमान में बढ़ोतरी होने की संभावना है. जबकि आठ और नौ जनवरी को उत्तरी और मध्य मैदानी इलाकों में बारिश होने का अनुमान लगाया गया है.
लगातार बादल छाए रहने के कारण खिली धूप नहीं निकल पा रही है इसके कारण अधिकतम तापमान 12-18 डिग्री तक रह रहा है. जो सामान्य से 2-6 डिग्री कम है. इस तरह का मौसम पंजाब-हरियाणा-दिल्ली, उत्तर प्रदेश और आसपास के उत्तरी मध्य प्रदेश के कई हिस्सों देखा रहा है. जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में भंयकर ठंड पड़ रही है और दिन के वक्त भी ठंड लगती है. पर अनुमान लगाया जा रहा है कि गर्म और नम दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के प्रभाव में, 07 जनवरी से न्यूनतम और अधिकतम तापमान में 2-4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है. 08-09 जनवरी के दौरान मध्य प्रदेश, राजस्थान, दक्षिण हरियाणा, दक्षिण उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर बहुत हल्की/हल्की वर्षा होने की भी संभावना है.
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इधर नोएडा के एक्यूआई की बात करें तो यहां पर पिछले सात वर्षों में 2023 का एक्यूआई सबसे अच्छा दर्ज किया गया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2017 से सात वर्षों में, नोएडा ने 2023 में अपना सबसे अच्छा औसत AQI दर्ज किया और हवा में दूसरा सबसे अच्छा औसत PM10 और PM2.5 सांद्रता दर्ज की. वार्षिक CAAQMS के अनुसार, नोएडा में 2023 के लिए औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 188 दर्ज किया गया था. यह 2022 में 199, 2021 में 208, 2020 में 189, 2019 में 218, 2018 में 229 और 2017 में 214 दर्ज किया गया था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, 0-50 के बीच AQI 'अच्छा' है, 51-100 के बीच 'संतोषजनक' है, 101-200 के बीच 'मध्यम' है, 201-300 के बीच 'खराब' है, 301-400 के बीच है 'बहुत खराब' और 401-500 'गंभीर' है.
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आंकड़ों से पता चला है कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम)2.5 के संदर्भ में, 2023 का औसत 83 था, जो 2022 में 79 से अधिक था, लेकिन 2021 में 99 से कम, 2020 में 94, 2019 में 111, 2018 में 116 और 2017 में 163 था. पीएम10 के संदर्भ में, 2023 का औसत 189 था. आंकड़ों के अनुसार, यह आंकड़ा 2022 में 210, 2021 में 221, 2020 में 183, 2019 में 221, 2018 में 210 और 2017 में 189 था.PM2.5 और PM10 हवा में सूक्ष्म कणों को संदर्भित करते हैं, जिनकी संख्या माइक्रोमीटर में उनके आकार को दर्शाती है. PM2.5 सूक्ष्म कण होते हैं जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या मानव बाल की चौड़ाई से कम होता है। ये इतने छोटे होते हैं कि ये फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और यहां तक कि रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं, जिससे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं. पीएम10 मोटे कण होते हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है, जिसकी चौड़ाई लगभग 10 मानव बाल के बराबर होती है. हालांकि यह PM2.5 जितना चिंताजनक नहीं है, फिर भी इससे सांस संबंधी परेशानी हो सकती है.
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