आजकल भारत के किसान पहले के मुकाबले अधिक जागरूक हो गए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अब किसान पारंपरिक फसलों का उत्पादन करते हुए अलग-अलग तरह की फसलें उगाने लगे हैं. बाजार में डिमांड के हिसाब से किसान भी अपने खेती के तरीके और फसलों की किस्मबदल रहे हैं. दरअसल किसानों की ज्यादा से ज्यादा कोशिश रहती है कि वे डिमांड के हिसाब से फसल का उत्पादन करते हुए मुनाफा कमा सकें. इसी में शामिल है रंगीन गाभी की खेती जिसका प्रचलन अब तेजी से बढ़ रहा है.
सर्दियों में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां गोभी की सब्जी ना बनाई जाती हो. आप सभी ने सफेद गोभी के बारे में तो सुना होगा और खाया भी होगा, लेकिन क्या आपने कभी रंग बिरंगी यानी की पीली और बैंगनी रंग की फूल गोभी देखी है? ऐसी गोभी की खेती अब पहाड़ों में भी होने लगी है. उत्तराखंड के भीमताल के एक प्रगतिशील किसान आनंद मणि भट्ट ने अपने पॉलीहाउस में रंग-बिरगी गोभी उगाई है.
इन दिनों आनंद मणि भट्ट के पॉलीहाउस में बैंगनी और पीले रंग की फूलगोभी लहलहा रही है जो पहाड़ों के किसानों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल किसान आनंद मणि भट्ट अपनी खेती में हमेशा कुछ नया प्रयोग करते रहते हैं. उन्होंने बताया कि लौकी की फसल में प्रयोग करने के बाद इस बार वो कलरफुल गोभी का सफल उत्पादन कर रहे हैं.
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किसान आनंद मणि भट्ट ने बताया कि रंगीन गोभी का स्वाद ब्रोकली जैसा है. इसकी फसल लगभग 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है. वहीं इस गोभी का वजन लगभग 01 से 02 किलो के बीच होता है. साथ ही उन्होंने बताया कि यदि कोई किसान इस रंगीन गोभी को लगाना चाहते हैं तो वह इसे अगस्त या सितंबर महीने में लगा सकते हैं, जो दिसंबर महीने में तैयार हो जाती है. साथ ही भट्ट ने बताया कि उनकी उगाई हुई 5 फुट से लंबी लौकी का बीज अगर किसी किसान को चाहिए तो वह फरवरी महीने तक उनसे ले सकता है.
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो रंगीन गोभी पोषक तत्वों की दृष्टि से भरपूर है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्निशियम और जिंक पाया जाता है. वहीं रंगनी गोभी खाने से इम्युनिटी बढ़ती है. यह ब्रोकली की एक प्रजाति है. ये फूलगोभी दिखने में हरी होती है लेकिन स्वाद में अंतर होता है. यह गोभी कई बीमारियों में लाभदायक मानी जाती है.
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