भूस्खलन के कारण खतरे में नैनीताल का खूपी गांव, लोग घर-बार छोड़ने को मजबूर

भूस्खलन के कारण खतरे में नैनीताल का खूपी गांव, लोग घर-बार छोड़ने को मजबूर

खूपी गांव और घरों मे लगातार बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं जिससे गांव का अस्तित्व अब खतरे में नजर आ रहा है. इसके बावजूद अब तक प्रशासन का ध्यान खुपी गांव के प्रभावित लोगों की तरफ नहीं गया है. गांव में सालों से हो रहे भूस्खलन से हालात इतने बदहाल हो चुके हैं कि गांव में घरों में बड़ी-बड़ी दरारें देखने के लिए मिलती हैं.

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भूस्खलन के कारण खतरे में नैनीताल का खूपी गांव, लोग घर-बार छोड़ने को मजबूर लैंडस्लाइड (सांकेतिक तस्वीर)

उत्तराखंड के कई जिलों में हो रही लगातार बारिश के कारण पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड का खतरा मंडराने लगा है. नैनीताल मे भी इस तरह के खतरे से लोग डरे हुए हैं. नैनीताल का खुपी गांव मे भी एक बार फिर भूस्खलन होने लगा है. जिससे खुपी गांव में बड़ा खतरा मंडरा रहा है. नैनीताल का यह गांव चारों तरफ से भूस्खलन की जद में आ गया है. गांव में मंडरा रहे खतरे को देखते हुए अब स्थानीय लोग प्रशासन से खुपी गांव को विस्थापित करने या गांव में हो रहे भूस्खलन का स्थाई समाधान करने की मांग कर रहे हैं.

खूपी गांव और घरों में लगातार बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं जिससे गांव का अस्तित्व अब खतरे में नजर आ रहा है. इसके बावजूद भी अब तक प्रशासन का ध्यान खुपी गांव के प्रभावित लोगों की तरफ नहीं गया है. गांव में सालों से हो रहे भूस्खलन से हालात इतने बदहाल हो चुके हैं कि गांव में घरों में बड़ी-बड़ी दरारें देखने के लिए मिलती हैं. जिसके चलते लोग अपने घरों को खाली कर कर दूसरे जगह जाने के लिए मजबूर हैं.

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घरों में पड़ी दरारें

खूपी गांव की स्थानीय निवासी निर्मला देवी बतातीं हैं कि लगातार गांव में हो रहे भूस्खलन से ग्रामीणों की करीब सौ नाली भूमि अब तक भूस्खलन में समा चुकी है. गांव में हो रहे भूस्खलन से अधिकांश घरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने लगी हैं. घरों में पड़ी दरार के चलते करीब आधा दर्जन से अधिक परिवार गांव छोड़कर दूसरे सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं. वहीं कविता बतातीं हैं कि 2011 से गांव में भूस्खलन हो रहा है. गांव के सामने मंडरा रहे खतरे से निजात दिलाने को लेकर कई बार उन्होंने सरकारी अधिकारियों समेत राजनेताओं से फरियाद लगाई लेकिन अब तक उनकी फरियाद किसी ने नहीं सुनी.

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खतरे में गांव का अस्तित्व

लैंडस्लाइड से प्रभावित स्थानीय निवासी पद्मादेवी ने बताया कि उन्होंने काफी मेहनत से अपने लिए दो कमरों का घर बनाया था. जो अब भूस्खलन की चपेट में आ चुका है. घर में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं. पद्मावती ने कहा की पेट काट-काट कर उन्होनें जो घर बनाया था आज वो खतरे में है. कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन किसी ने उनकी फरियाद नहीं सुनी. इसके कारण अब तक उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ. लगातार हो रहे लैंडस्लाइड के कारण नैनीताल के इस गांव के अस्तित्व पर अब खतरा मंडराने लगा है. खूपीगांव नैनीताल की तलहटी समेत बलिया नाले से सटा हुआ है. खूपीगांव के ठीक ऊपर आर्मी कैंट एरिया और आलूखेत गांव है जिन पर भी सबसे ज्यादा भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है. (ललिता सिंह बिष्ट की रिपोर्ट)

 

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