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तिल की अधिक उपज लेने के लिए इन किस्मों का करें प्रयोग, खरपतवार हटाने के लिए जरूर डालें ये खाद

तिल की अधिक उपज लेने के लिए इन किस्मों का करें प्रयोग, खरपतवार हटाने के लिए जरूर डालें ये खाद

खरीफ सीजन में तिल की अधिक पैदावार हासिल करने के लिए जून के आखिरी सप्ताह या जुलाई के पहले सप्ताह में ही तिल की बुवाई कर देनी चाहिए. अगर किसान सही समय पर तिल की बुवाई कर रहे हैं तो प्रति हेक्टेयर 3-4 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है

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तिल की खेती (सांकेतिक तस्वीर) तिल की खेती (सांकेतिक तस्वीर)

तिल की खेती खरीफ सीजन में की जाती है. यह किसानों के लिए फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि इसकी खेती लागत कम आती है और कम लागत में भी यह अच्छी पैदावार देती है. बारिश के मौसम में इसकी खेती ऊंची जमीनों पर की जाती है. जहां पर जल जमाव नहीं होता है. कम बारिश में भी किसान इसकी अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं. किसानों को तिल की खेती से पहले मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए, उसके अनुसार खेत में उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए. पर अगर जांच नहीं करा पाए हैं तो जिन खेतों में किसान सिंचाई कर सकते हैं उन खेतों में 40-50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए, लेकिन वर्षा आधारित खेतों में किसान 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन और 15-20 किलोग्राम फॉस्फोरस दे सकते हैं.

इसकी खेती चिकनी दोमट मिट्टी और मटियार मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है. जो किसान तिल की खेती करना चाहते हैं उन्हें रबी और जायद फसल की कटाई के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से दो बार अच्छे से खेत की जुताई कर लेना चाहिए. इसके बाद खेत को समतल कर देना चाहिए. खरीफ सीजन में तिल की अधिक पैदावार हासिल करने के लिए जून के आखिरी सप्ताह या जुलाई के पहले सप्ताह में ही तिल की बुवाई कर देनी चाहिए. अगर किसान सही समय पर तिल की बुवाई कर रहे हैं तो प्रति हेक्टेयर 3-4 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है, जबकि अगर देर से बुवाई कर रहे हैं तो प्रति हेक्टेयर 4-45 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.  

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इस किस्म की करें खेती

गुजरात की खेती में अधिक उपज हासिल करने के लिए किसान इसकी उन्नत किस्मों की बीज का उपयोग करने के साथ-साथ खाद की उचित मात्रा का प्रयोग करके बेहतर उपज हासिल कर सकते हैं. फसल की अधिक उपज लेने के लिए गुजरात तिल नंबर 1 का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ 20 किलोग्राम फॉस्फोरस खेत में डालना चाहिए. अच्छी उपज हासिल करने के लिए खेत में जरूरी खाद के अलावा 10-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से गंधक का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा नाइट्रोजन की आधी मात्रा और अन्य उर्वरकों की पूरी मात्रा का इस्तेमाल बुवाई के वक्त करना चाहिए. 

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खरपतवार का करें नियंत्रण

जिन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है वहां पर एक ही बार में उर्वरकों की पूरी मात्रा का इस्तेमाल करना चाहिए. बीज की बुवाई तीन से चार सेंटीमीटर की गहराई में करना चाहिए. तिल की खेती में खरपतवार प्रबंधन सबसे जरूरी होता है. इसकी खेती में अगर अच्छे से खरपतवार प्रबंधन नहीं किया गया तो पैदावार में भारी गिरावट आ जाती है. खरपतवार की रोकथाम के लिए बुवाई के तीन-चार सप्ताह के बाद निराई गुड़ाई कर खरपतवार खेत से निकालना चाहिए. इसके अलावा दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.