झारखंड में इन दिनों मॉनसून की रफ्तार धीमी हो गई है, क्योंकि बारिश नहीं हो रही है. राजधानी रांची में पिछले 4-5 दिनों के दौरान बारिश नहीं हुई है. हालांकि राज्य के दूसरे जिलों में छिटपुट बारिश का दौर जारी है. झारखंड में इस साल अब तक होने वाली औसत बारिश की बात करें तो अब भी राज्य के कई ऐसे जिले हैं जहां पर बारिश की कमी 60 फीसदी से अधिक है. लेकिन जुलाई महीने की शुरुआत में हुई अच्छी बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है. इस बारिश से उत्साहित ई किसान धान की खेती की तैयारियों में जुट गए हैं. कई किसान खेती में नर्सरी तैयार करके धान रोपाई में जुट गए हैं.
झारखंड की राजधानी रांची और आस-पास के जिलों में जुलाई की शुरुआत में चार दिनों में 39 एमएम बारिश दर्ज की गई है. इस तरह से जुलाई के महीने में छह दिनों में हुई बारिश ने 19 फीसदी बारिश की कमी को पूरा किया है. इस बारिश के बाद खूंटी, रामगढ़, रांची, रामगढ़. हजारीबाग और गढ़वा जिले के जिन किसानों ने पहले से ही धान का बिचड़ा तैयार कर लिया था. उन्होंने धान की रोपाई भी शुरू कर दी है. हालाकि अभी तक निदेशालय के पास रोपाई से संबंधित आंकड़े नहीं आए हैं पर धान की रोपाई और बुवाई तेज गति से चल रही है. जिन किसानो ने नर्सरी तैयार नहीं की थी, वे नर्सरी तैयार करने में जुट गए हैं क्योंकि बारिश नहीं होने से खेत तैयार करने का मौका मिल गया है.
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बुढ़मू प्रखंड के बेड़वारी गांव में धान की खेती करने वाले किसान अजय शाहदेव ने बताया कि धान लगाने के लिए अच्छी बारिश हुई है. रुक-रुक कर बारिश होने से किसानों को खेत तैयार करने का मौका मिल रहा है जो उनके लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. हालांकि जून महीने में बारिश नहीं होने के कारण जिन किसानों ने नर्सरी तैयार नहीं की थी वो अब नर्सरी तैयार कर रहे हैं और बारिश अच्छी होती है तो फिर जुलाई के तीसरे-चौथे सप्ताह तक धान की रोपाई कर देंगे. अभी जिस तरह से मौसम और धान की नर्सरी तैयार की जा रही है, जुलाई के आखिरी 10 दिनों में तेजी से धान की रोपाई होगी.
जुलाई में होने वाले बारिश की बात करें तो जुलाई के पहले सप्ताह में 40 एमएम तक की बारिश सामान्य मानी जाती है. पर इस बार 38.9 फीसदी बारिश हुई है. पूरे जुलाई महीने में वगभूग 196.6 एमएम बारिश होती है. संयुक्त कृषि निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि अभी रुक-रुक कर हो रही है जो कि खरीफ की खेती के लिए काफी बेहतर मानी जाती है. धान की खेती के लिए अभी पर्याप्त समय बचा हुआ और आगे अच्छी बारिश का अनुमान है. इसलिए यह कहा जा सकता है कि राज्य में खरीफ की खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य पूरा हो जाएगा.
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संयुक्त कृषि निदेशक ने कहा कि राज्य में इस बार खरीफ सीजन में कुल 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि तीन लाख 12 हजार 560 हेक्टेयर में मक्के की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. धान की खेती के लिए सबसे अधिक दक्षिणी छोटानापुर प्रमंडल में लक्ष्य निर्धारित किया गया है. यहां पर 5.67 लाख हेक्ट्येर में धान की खेती की जाएगी. कोल्हान में 3.96 लाख हेक्टेयर में खेती की जाएगी. जिलावार आंकड़ों की बात करें तो सबसे अधिक धान की खेती गुमला जिले में की जाएगी. यहां पर 1.86 लाख हेक्टेयर में धान लगाया जाएगा जबकि रांची में 1.71 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाएगी.
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