पुणे के मावल में इस समय भारी बारिश हो रही है. मावल को धान की खेती का केंद्र माना जाता है. मावल में किसान धान की खेती में व्यस्त हैं. यहां के किसान चार सूत्री तरीके से धान की खेती कर रहे हैं. यह तकनीक इस इलाके में बहुत मशहूर है. यहां के किसान इसी तकनीक से धान की खेती करते हैं और अच्छी उपज लेते हैं. उपजाऊ वातावरण के कारण मावल क्षेत्र में धान की खेती पर जोर दिया जा रहा है. किसान चार सूत्री तरीके से खेती कर अच्छी आमदनी पा रहे हैं.
मावल के दारुम्ब्रे में कृषि अधिकारी विकास गोसावी ने किसानों को चार सूत्री तरीके से धान की खेती करने का तरीका बताया और पौधे रोपे. चार सूत्री तरीके से पौधे रोपने में लगने वाला समय कम होता है और आय भी दोगुनी होती है. चार सूत्री तरीके से किसानों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है. इसी के चलते कृषि अधिकारी ने किसानों से चार सूत्री विधि से चावल की खेती करने की अपील की है.
आपको बता दें कि पुणे के मावल में 13000 हेक्टेयर में धान की खेती होती है. इससे किसानों को 12 लाख 80 हजार किलोग्राम धान की उपज मिलती है. मावल से सबसे अधिक चावल पुणे, पिंपरी- चिंचवड़, मुंबई, सोलापुर, अहिल्यानगर और सातारा भेजा जाता है. मावल में अधिकांश किसान इंद्रायणी किस्म उगाते हैं. चार सूत्री तरीके से पौधे रोपे जाते हैं. इससे न केवल किसानों को अच्छी आय होती है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी अच्छी गुणवत्ता वाला चावल मिलता है.
धान के पौधे जून के अंतिम और जुलाई के पहले सप्ताह में रोपे जाते हैं. चार महीने तक किसान धान की खेती को अपने बच्चों की तरह देखभाल करते हैं. और आखिरकार, चार महीने बाद चावल की उपज अपने अंतिम चरण में पहुंच जाती है. सामान्य शहरी क्षेत्रों में इंद्रायणी चावल की काफी मांग है. मावल में इंद्रायणी चावल सभी को पसंद आता है. यह जानकारी कृषि अधिकारी विकास गोसावी ने दी है.
इसकी खेती में किसान पूरे खेत में पानी भर देते हैं. खेत में घुटनों तक पानी लगा होता है जिसमें धान का बिचड़ा रोपा जाता है. धान की पौध को रोपने के लिए खेतों में कई मजदूर लगते हैं. धान की रोपाई सीधी लाइन में की जाती है जिसके लिए खेत में रस्सी बांधी जाती है. फिर उसी रस्सी की लाइन में सीधी रेखा में धान की रोपाई की जाती है. वैसे पुणे में धान की खेती बहुतायत में नहीं होती, लेकिन मावल का इलाका इसके लिए मशहूर है क्योंकि यहां इंद्रायणी धान की बड़े पैमाने पर खेती होती है. किसानों को इस वैरायटी से अधिक कमाई होती है क्योंकि महाराष्ट्र के अलावा अन्य कई राज्यों में इसके चावल की मांग है.(श्रीकृष्ण पांचाल का इनपुट)
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