बालियों या फलियों से दानों को अलग करने की प्रक्रिया को मेडाई कहते हैं. और इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जिस मशीन का इस्तेमाल किया जाता है उसे थ्रेशर मशीन कहते हैं. यह मशीन मुख्य रूप से फसल की बालियों को पीटकर/ तोड़कर/ रगड़कर पौधे से दाने निकालने का काम करता है. सामान्यतः अनाज में नमी की मात्रा 15-17 प्रतिशत तक कम हो जाने पर मड़ाई की जाती है. यदि समय पर थ्रेसिंग नहीं की गई तो किसानों द्वारा की गई सारी मेहनत और फसल के लिए दी गई लागत बर्बाद हो जाती है. पारंपरिक विधि में मानव थ्रेशिंग के लिए 150-230 व्यक्ति/घंटा/हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. इसमें बहुत खर्च होता है. पशुओं द्वारा मड़ाई करने की पारंपरिक विधि बहुत धीमी है और उपज कम होती है.
अनाज की हानि के कारण उत्पादन कम होने के साथ-साथ संचालन लागत भी अधिक होती है. इन कठिनाइयों पर काबू पाने में गेहूं थ्रेसर बहुत फायदेमंद साबित हुए हैं. आपको बता दें थ्रेशर के सभी भाग लोहे के बने पर लगे होते हैं. सभी भाग का अलग-अलग काम होता है. इसी प्रकार थ्रेशर में फीडिंग और ड्रम भी लगे होते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इसका काम और मड़ाई में दोनों कैसे करते हैं मदद.
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छोटे आकार के थ्रेशरों में सिलेंडर के बाहर ड्रम कवर में लोहे की चादर का बना फीडर पैन लगा होता है. इस पर बंडल को रखकर सिलेंडर में पहुंचाया जाता है. बड़े आकार के थ्रेशरों में बंडलों को फीड कैरियर पर रखा जाता है. फीड कैरियर बंड़लों को मड़ाई करने वाली इकाई में ले जाता है. यदि बंडल बंधे होते हैं, तो मड़ाई में पहुंचने से पहले बंडलों को खोलने के लिये गांठ काटने वाले भाग उन्हें काट देते हैं. बालियों की मात्रा को नियंत्रित करने के लिये एक विशेष यंत्रा लगा होता है, जो गवर्नर कहलाता है. यह गवर्नर गति को नियंत्रित करता है. बंडलों को नीचे गिरने से रोकने के लिये पफीडिंग इकाई के साथ बराबर में तख्ते लगे होते हैं. ये बालियों को नीचे गिरने से रोकते हैं. फीड कैरियर द्वारा डंठलों/बालियों को फीडर पैन तक पहुंचाया जाता है, जहां से वे बेलन के अन्दर पहुंच जाते हैं.
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