महाराष्ट्र: चीनी मिलों पर विशेष टैक्स को लेकर बोले सीएम फडणवीस- किसानों पर नहीं पड़ेगा असर

महाराष्ट्र: चीनी मिलों पर विशेष टैक्स को लेकर बोले सीएम फडणवीस- किसानों पर नहीं पड़ेगा असर

महाराष्ट्र में गन्ना पेराई की शुरुआत 1 नवंबर से होने वाली है मगर इससे पहले राज्य सरकार के एक फैसले को लेकर विपक्ष लगातार हमले कर रहा है. गन्ना मिलों पर विशेष उपकर लगाने के फैसले पर अब सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि हम चीनी मिलों के मुनाफे से धन की मांग कर रहे हैं, किसानों से नहीं.

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महाराष्ट्र: चीनी मिलों पर विशेष टैक्स को लेकर बोले सीएम फडणवीस- किसानों पर नहीं पड़ेगा असरMaharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis. (File photo)

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गन्ना मिलों पर विशेष उपकर लगाने के राज्य सरकार के फैसले की आलोचना करने वाले विपक्षी नेताओं पर रविवार को निशाना साधा. फडणवीस ने कहा कि यह योगदान किसानों की कमाई से नहीं बल्कि मिलों के मुनाफे से आएगा. महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में भारी वर्षा और बाढ़ से हुए नुकसान को देखते हुए सरकार ने पिछले सप्ताह यह घोषणा की थी कि वह मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए मिलों पर प्रति टन गन्ने पर 10 रुपये और बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए प्रति टन 5 रुपये का शुल्क लगाएगी. 

'हम चीनी मिलों के मुनाफे से धन मांग रहे'

हालांकि, विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि इस फैसले से किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. एक चीनी मिल में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, सीएम फडणवीस ने कहा कि राज्य में लगभग 200 मिलें हैं. एक मिल को सीएमआरएफ में लगभग 25 लाख रुपये का योगदान देना पड़ सकता है. हम चीनी मिलों के मुनाफे से धन की मांग कर रहे हैं, किसानों से नहीं. उन्होंने इस फैसले की आलोचना करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि वे इसकी गलत व्याख्या कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग इतने गिर गए हैं कि वे इसे सरकार द्वारा किसानों से पैसे लेने के रूप में पेश कर रहे हैं. सच्चाई यह है कि यह योगदान मिलों के मुनाफे से है और मराठवाड़ा के बाढ़ प्रभावित किसानों को जाएगा. कुछ मिलें तो किसानों के साथ टन भार में भी धोखाधड़ी करती पाई गई हैं, मैं उन्हें आईना दिखाऊंगा. 

शरद पवार ने कही ये बात

वहीं इस फैसले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और राकांपा (शप) अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि वह सरकार के इस फैसले से हैरान हैं. पवार ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित मराठवाड़ा के किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए गन्ना किसानों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने का फैसला किया है. मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकार अपना फैसला बदलेगी. पवार के अलावा, राजू शेट्टी, कांग्रेस एमएलसी सतेज पाटिल और एनसीपी (शप) विधायक रोहित पवार सहित कई किसान नेताओं ने भी इस उपकर का विरोध किया है और इसे "अनुचित" और "वित्तीय बोझ" बताया है.

99.06 प्रतिशत एफआरपी किया जा चुका वितरित

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में गन्ना पेराई सत्र 2025-26 की शुरुआत 1 नवंबर से होगी. सरकार ने कहा था कि 2024-25 सीजन के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 3,550 रुपये प्रति मीट्रिक टन तय किया गया है, जिसकी मूल रिकवरी दर 10.25 प्रतिशत है. 99 सहकारी और 101 निजी सहित लगभग 200 चीनी मिलों ने 31,301 करोड़ रुपये मूल्य के गन्ने की पेराई की है, जिसमें से 99.06 प्रतिशत एफआरपी पहले ही वितरित किया जा चुका है. राज्य सरकार ने कहा कि मराठवाड़ा में बाढ़ प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत सुनिश्चित करने के लिए यह कदम आवश्यक था. (सोर्स- PTI)

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