पराली को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट तक अपनी सख्ती दिखा चुकी है. हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की ओर से पराली जलाने के मामले हर साल सामने आते हैं, जिसके बाद प्रशासन की ओर से भी आवश्यक कार्रवाई की जाती है. इस साल भी पराली को लेकर सरकार ने FIR और सुप्रीम कोर्ट ने तो गिरफ्तारी तक की बात कह चुकी है.
यमुनानगर जिले में रादौर ब्लॉक के एक गांव से इस सीजन का पहला पराली जलाने का मामला सामने आया है. पटवारी धर्मेंद्र की शिकायत पर, जिले के हरतन माजरी गांव के किसान जसवंत सिंह के खिलाफ पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 और बीएनएस की धारा 223 (ए) और 280 के तहत रादौर थाने में मामला दर्ज किया गया है. हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा किसान पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. आपको बता दें कि हरियाणा से आया ये मामला इस साल का पहला मामला है.
पराली जलाने का पहला मामला दर्ज होने के बाद हरियाणा के यमुनानगर जिले के कृषि उपनिदेशक आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि संबंधित किसान के भू-अभिलेखों में पराली जलाने की घटना दर्ज कर दी गई है. साथ ही किसान पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. उन्होंने बताया कि उपायुक्त पार्थ गुप्ता के निर्देश पर कई टीमें पराली जलाने पर कड़ी निगरानी रख रही हैं.
पिछले साल यमुनानगर जिले में पराली जलाने के आरोप में किसानों के खिलाफ 33 एफआईआर दर्ज की गई थीं. कृषि विभाग के अनुसार, जिले के हरथान माजरी गांव में पराली जलाने का एक मामला सामने आया था. उन्होंने बताया कि इस सीजन में पराली जलाने के खिलाफ यह पहली एफआईआर दर्ज की गई है.
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जानकारी के अनुसार, पिछले साल 21 किसानों से 57,500 रुपये का जुर्माना वसूला गया था तथा 40 किसानों के भूमि रिकार्ड में लाल प्रविष्टि (पराली की घटना) दर्ज की गई थी.
आपको बता दें कि हर साल धान की कटाई के बाद किसान फसल की अवशेष को जलाते हैं ताकि अगली फसल की बुवाई हो सके, लेकिन पराली जलाने के बाद जो धुआं होता है उससे दिल्ली और आसपास के इलाकों की हवा दूषित हो जाती है. पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं.
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