गर्मी के मौसम में पालतू पशुओं खास कर दुधारू पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है. इस सीजन में लोबिया की खेती पशुपालकों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है. चारे के तौर पर लोबिया की खेती किसान करते हैं. इसकी खेती उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जाती है जिन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था होती है. यह गर्मी के मौसम में काफी तेजी से बढ़ती है. यह फलीदार होता है और यह पौष्टिक भी होता है साथ ही स्वादिष्ट भी होता है. इसलिए पशुपालन करने वाले किसानों को इसकी खेती करने की सलाह दी जाती है, ताकि गर्मी के मौसम में पशुओं को हरे चारे की कमी नहीं हो और उन्हें दूध उत्पादन में कमी का सामना नहीं करना पड़े.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने किसानों को लोबिया फसल की बिजाई संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि हरे चारे के अलावा दलहन, हरी फली (सब्जी) और हरी खाद के रूप में अकेले अथवा मिश्रित फसल के तौर पर भी लोबिया की खेती की जाती है. हरे चारे की अधिक पैदावार के लिए इसकी खेती सिंचाई वाले इलाके में मई महीने में और वर्षा पर निर्भर रहनेवाले इलाके में बरसात की शुरूआत में कर देना चाहिए. उन्होंने बताया कि मई में बोई गई लोबिया से जुलाई के महीने में हरे चारे की पूर्ति की जा सकती है. अगर किसान लोबिया को ज्वार, बाजरा या मक्के के साथ 2:1 के अनुपात में लाइनों में उगाएं तो इन फसलों के चारे की गुणवता भी बढ़ जाती है. बी.आर. काम्बोज गर्मियों में दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ाने के लिए लोबिया का चारा अवश्य खिलाना चाहिए. इसके चारे में औसतन 15-20 प्रतिशत प्रोटीन और सूखे दानों में लगभग 20-25 प्रतिशत प्रोटीन होती है.
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अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. पाहुजा ने बताया कि किसान लोबिया की उन्नत किस्में लगाकर चारा उत्पादन बढ़ा सकते हैं. लोबिया की सी.एस. 88 किस्म, एक उत्कृष्ट किस्म है जो चारे की खेती के लिए सर्वोतम है. यह सीधी बढऩे वाली किस्म है जिसके पत्ते गहरे हरे रंग के तथा चौड़े होते हैं. यह किस्म विभिन्न रोगों विशेषकर पीले मौजेक विषाणु रोग के लिए प्रतिरोधी और कीटों से मुक्त है. इस किस्म की बिजाई सिंचित एवं कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में गर्मी तथा खरीफ के मौसम में की जा सकती है. इसका हरा चारा लगभग 55-60 दिनों में कटाई लायक हो जाता है. इसके हरे चारे की पैदावार लगभग 140-150 क्विंटल प्रति एकड़ है.
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चारा अनुभाग के वैज्ञानिक डॉ. सतपाल ने बताया कि लोबिया की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, परन्तु रेतीली मिट्टी में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. लोबिया की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को खेत की बढिय़ा तैयारी करनी चाहिए. इसके लिए 2-3 जुताई काफी हैं. पौधों की उचित संख्या और बढ़वार के लिए 16-20 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से बुवाई करें. पंक्ति-से-पंक्ति की दूरी 30 सैंटीमीटर रखना चाहिए. पर अगर किसान मिश्रित खेती कर रहे हैं तो लोबिया के बीज की एक तिहाई मात्रा ही प्रयोग करें. किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि बिजाई के समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. लोबिया के लिए सिफारिश किए गए राइजोबियम कल्चर से बीज का उपचार करके बिजाई करें. मई में बोई गई फसल को हर 15 दिन बाद सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है.
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