सूर्य की तपिश बढ़ी हुई है. रबी सीजन के समापन के बाद किसानों ने खरीफ सीजन की तैयारियां शुरू कर दी है. खरीफ यानी मॉनसून सीजन किसानों के लिए बेहद ही अहम होता है. क्योंकि खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है और धान यानी चावल बड़ी आबादी की मुख्य खुराक है. ऐसे में धान की खेती भी किसानों के लिए फायदे का सौदा होती है. क्योंकि धान की सीधी खरीदी MSP पर होती है. तो वहीं बाजार में भी धान को बेहतर पैसा मिलता है. ऐसे में किसान कम लागत में धान की अच्छी पैदावार चाहते हैं. आइए इसी कड़ी में आज बात करते हैं गैर बासमती धान की उन किस्मों की, जो किसानों को धनवान बना सकती है. मतलब, कम समय और कम लागत में अधिक पैदावार वाली धान के किस्मों की कहानी.
धान की खेती में लगने वाला समय किसानों के लिए बेहद ही अहम होता है. किसान चाहते हैं कि वह कम समय में पकने वाली धान की किस्मों की बुवाई करें. धान की ऐसी ही एक किस्म को बीते साल ही जारी किया गया है, जो 115 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. हम बात कर रहे हैं मालवीय मनीला सिंचित धान-1 की, जिसे अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने संयुक्त रूप से जारी किया है.
मालवीय मनीला सिंचित धान-1 को उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा के लिए जारी किया गया है. इस किस्म की विशेषताओं की बात करें तो ये 115 से 118 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और इसका औसतन उत्पादन 64 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है, जबकि इसका दाना पतला और लंबा होता है, जो बासमती की तरह दिखता है, जिसे बाजार में बेहतर दाम मिलने की पूरी संभावनाएं हैं. वहीं ये किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले 30 दिन पहले तैयार हो जाती है, इस समय का उपयोग कर किसान दूसरी फसल की बुवाई भी कर सकते हैं.
देशभर में धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके लिए धान की PR126 किस्म को बेस्ट माना जाता है. असल में धान की सीधी बिजाई के लिए दूसरी किस्मों को पक कर तैयार होने में 160 से अधिक दिन लगते हैं, जबकि सीधी बिजाई में धान की PR126 किस्म 123 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. अगर इस किस्म के उत्पादन की बात करें तो किसान 35 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त कर सकते है. वहीं इस किस्म की खास बात ये है कि ये धान की अन्य किस्मों की तुलना में 20 फीसदी सिंंचाई में ही तैयार हो जाती है. धान की ये किस्म पंजाब और हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के लिए मुफीद मानी जाती है, इसे पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने तैयार किया है.
धान की धनवान बनाने वाली किस्मों में पंत धान-12 को भी शुमार किया जाता है. ये भी गैर बासमती धान की किस्म है, जाे 115 से 120 दिन यानी 4 महीने में पक कर तैयार हो जाता है. धान की इस किस्म को जीबी पंंत कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने जारी किया था. इस किस्म के उत्पादन की बात करें तो प्रति हैक्टेयर औसतन 60 क्विंटल पैदावार देने में पंत धान-12 सक्षम है. इस किस्म के दाने पतले होते हैं. बाजार में इसका भाव 60 रुपये किलो तक रहता है. इस किस्म को बुंदलेखंड, पूर्वी यूपी, बिहार के लिए उपयुक्त माना जाता है.
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