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गरमा धान की कटाई के साथ खरीफ की तैयारी में जुट जाएं बंगाल के किसान, पढ़ें IMD की सलाह

गरमा धान की कटाई के साथ खरीफ की तैयारी में जुट जाएं बंगाल के किसान, पढ़ें IMD की सलाह

किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि खेत में गरमा धान और अन्य फसल 80 फीसदी तक पक हो गए हैं वो अपने खेतों से फसलों की कटाई कर लें. इसके साथ ही कहा गया है कि सभी किसान अच्छी गुणवत्ता और अधिक उपज देने वाली धान की किस्मों को एकत्रित कर लें.

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धान की खेती के लिए सलाह (सांकेतिक तस्वीर) धान की खेती के लिए सलाह (सांकेतिक तस्वीर)

देश में अब मॉनसून की शुरुआत होने वाली है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की तरफ से मिली ताजा जानकारी के अनुसार 31 मई को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून केरल के तटों पर दस्तक देगा. इसी के साथ ही देश में खरीफ फसलों का सीजन शुरू हो जाएगा. खरीफ भारत का प्रमुख फसल सीजन है, इसलिए इस सीजन की तैयारी में किसान पहले से ही जुट जाते हैं. किसानों को खेती करने में आसानी हो और मौसम संबंधी परेशानियों के कारण उन्हें नुकसान नहीं हो, इसे लेकर भारतीय मौसम विभाग की तरफ से एडवाइजरी जारी की जाती है. इसका पालन करके किसान बेहतर तरीके से खेती कर सकते हैं और अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं. पश्चिम बंगाल के अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्र के लिए भी आईएमडी की तरफ से सलाह जारी की गई. 

किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि किसानों के खेत में गरमा धान और अन्य फसल 80 फीसदी तक पक गए हैं तो वे अपने खेतों से फसलों की कटाई कर लें. इसके बाद अनाज को अच्छे से सुखा कर सुरक्षित स्थान पर रखें. किसानों से यह अपील की गई है कि वे खेत साफ करने के लिए धान की पराली या फसल के डंठल को खेत में नहीं जलाएं. इससे वायु प्रदूषण होता है और मिट्टी का स्वास्थ्य भी खराब होता है. मिट्टी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए पराली और फसलों के डंठल को खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ देना चाहिए. इससे मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर होता  है और उत्पादकता भी बढ़ती है. 

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अच्छी क्वालिटी के बीज बोएं

खरीफ सीजन में खेती करने वाले किसानों के लिए जारी सलाह में कहा है कि सभी किसान अच्छी गुणवत्ता और अधिक उपज देने वाली धान की किस्मों को एकत्रित कर लें. इसके साथ ही खरीफ धान की खेती के लिए किसान अभी से ही खेत की तैयारी शुरू कर दें. खेत की जुताई करके कुछ दिनों के लिए छोड़ दें. रोगमुक्त पौधा पाने के लिए धान की नर्सरी तैयार करते समय बीज का उपचार जरूर करें. किसान दो तरीकों से बीजोपचार कर सकते हैं. पहला सूखा तरीका और दूसरा गीला तरीका. सूखे तरीके से बीजोपचार करने के लिए कार्बेन्डाजिम का इस्तेमाल करें. गीला बीजोपचार करने के लिए मैंकोजेब 50 प्रतिशत को दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाएं. फिर उसमें एक किलो धान का बीज मिला दें. आठ से 10 घंटे बीज को भिंगोने के बाद उसे छाया में सुखा दें. फिर उसमें फफूंदनाशी ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल करें. 

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ऐसे तैयार करें नर्सरी

किसान खेती के लिए ऐसे खेत का चयन करें जो उपजाऊ हो. इसके अलावा जहां पर पास में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो, वैसा खेत चुनें. किसान नर्सरी तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखें कि एक बार में उन्हें एक बीघे में धान की रोपाई करनी है तो वो दो कट्ठा जमीन में धान की नर्सरी तैयारी करें. बीज क्यारी का आकार आम तौर पर मुख्य खेत का दसवां हिस्सा होता है. बीज की बुवाई पतली करनी चाहिए. इससे अंकुर स्वस्थ और मजबूत होते हैं. साथ ही उनकी मोटाई भी बढ़ती है. एक बीघा में खेती करने के लिए 4-5 किलोग्राम उपचारित बीज की नर्सरी तैयार करनी चाहिए. दो कट्ठा जमीन में नर्सरी तैयार करने के लिए 200 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा 2 किलोग्राम एसएसपी और 500 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश मिलाना चाहिए.