
ग्लोबल मार्केट में कट फ्लावर फूलों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. भारत के महानगरों में इन दिनों मिठाई के डिब्बों से बेहतर तोहफ़ा इंपोर्टेड फूल माने जाने लगे हैं क्योंकि विशेष अवसर, समारोह, पार्टियां और स्वागत के लिए कटे हुए फूलों की उपयोगिता तेजी से बढ़ी है. अनुमान है कि साल 2024 में कटे हुए फूलों का वैश्विक बाजार 3959 करोड़ अमेरिकी डॉलर का होगा और साल 2032 तक यह लगभग 5390 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. एंथूरियम ऐसे फूलों की सूची में नंबर वन पर है, जिसकी खेती कर लाखों की आय कमाई जा सकती है.
देश में फूलों की वार्षिक घरेलू मांग 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है. भारतीय फूल बाज़ार लगभग 262 अरब रुपयों से ऊपर का है, जो हर साल बढ़ता ही जा रहा है. फूलों के इस अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारत की अच्छी ख़ासी दखल है. हमारे देश से विदेशों में लगभग 22 हज़ार मीट्रिक टन फूलों का निर्यात होता है जिससे लगभग 707.81 करोड़ की विदेशी मुद्रा की आय होती है. इसमें आधे से ज्यादा मॉडर्न फूलों की हिस्सेदारी है. जब फूलों का बाज़ार इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है तो निश्चित ही आपका भविष्य फूलों की खेती में आसमानी ऊंचाईयों को छुएगा. इसमें सबसे आधुनिक और महंगे फूलों की खेती आपको ज्यादा आर्थिक मज़बूती देगी.
आमतौर पर कट फ्लावर के रूप में डच रोज, जरबेरा, अर्किड, लिली, गुलदाउदी, कारनेशन और कई अन्य फूल शामिल हैं लेकिन आज उपभोक्ता सामानों का बड़ा बाज़ार ऑनलाइन हो चुका है. भला ऐसे में फूलों का मार्केट कहां थमने वाला था. ज़माना ऑनलाइन गिफ्ट भेजने का है और गिफ्ट में फूलों से बेहतर और क्या हो सकता है, लेकिन यहां एक समस्या खड़ी थी,.अच्छे से अच्छा फूल, पौधे से तोड़ने के बाद, 4-5 दिनों में मुरझा जाता है. जैसे गेंदा 1-2 दिनों में, डच रोज 3-4 दिनों में, तो ऐसे ही मॉडर्न फ्लावर ग्लेडियोलस भी महज 4-5 दिन तक ही सामान्य स्थितियों में टिक पाता है. लेकिन विदेशी फूल एंथूरियम ताजा रहता है, क्योंकि सामान्य परिस्थितियों में भी 20-25 दिनों तक अपनी छटा बिखेरता रहता है. इस महंगे और देर तक टिकने वाले फूलों की खेती ज़ाहिर है आपकी कमाई को पंख लगा देगी.
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एंथूरियम फूलों की सुंदरता और इसके खूबसूरत पौधे के कारण कट फ्लावर के रूप में और गमलों में लगाने के लिए इसे बेहद उपयुक्त माना जाता है. भारत में इसे केरल, तामिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में प्रचुरता से उगाया जाता है. दिल के आकार वाले ये फूल लाल, गुलाबी, सफेद, नारंगी, और क्रीम रंगों में खिलते हैं. एंथूरियम छाया पसंद करने वाला पौधा है. खुली जगहों में जहां छाया रहती हो, पौधे की वृद्धि और विकास अच्छा होता है. खुली जगहों पर 75 परसेंट शेड नेट का व्यवहार कर इसे अच्छी तरह उगाया जा सकता है. मौसम में 80 परसेंट आर्द्रता और 25-28 डिग्री तापमान रहने पर फूलों की उपज अच्छी मिलती है.
एंथूरियम के विकास के लिए मिट्टी के मिश्रण का माध्यम उचित होना चाहिए जिससे हवा का संचार अच्छा हो और जिसमें पानी संरक्षण ज्यादा हो. इसके मिश्रण में चारकोल, नारियल छिलका, पेड़ की छाल, चावल की कुन्नी, कोको पीट, बालू, ईंट, पत्ती की खाद, नीम खल्ली के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है. इस मिश्रण का पी.एच. मान 5.7 से लेकर 6.2 के बीच रखा जाता है.
लाल किस्म - मिक्की माउस, चार्मी, इन्टी, टोटोरा, ओसाकी, कोजोहारा, कुमाना, टोयामो, रीओ, प्रोन्टी, मिरजाम और इनग्रीड,
नारंगी किस्म - नीटा, सनब्रस्ट, डायमंड जुबली, हवाई, फ्ला आरेन्ज, एवोगिन्गो, हॉर्निग ऑरेन्ज और हॉर्निग रूवीन
सफेद किस्मों में - मेनोआ मिस्ट, कार्मेलोन, पर्ल, कोटोपेक्सी, एक्रोपोलिस, जमाइका, मैरून मुनी, लीमा, जीसा और क्युबी
गुलाबी किस्म में- एब पीक, ब्लुस, मारिमान, कैन्डी स्ट्रीप, एवो एन्की, होनीटी, सरप्राइज, वीटनी सरीना, लुन्टी, लेडी जानी और पैराडाइज पिंक, जैसी क़िस्में शामिल हैं.
इसके पौधे बीज, कटिंग और टिश्यू कल्चर से तैयार किए जाते हैं जिनमें टिश्यू कल्चर से तैयार किए गए पौधे, रोगमुक्त और जल्द फूल उत्पादन करने वाले होते हैं. इसलिए व्यावसायिक खेती के लिए टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे लगाना सही होता है. नए पौधों को गमले या बेड में लगाया जाता है. 30 सें.मी. के गमले में मिट्टी के मिश्रण को भर कर एक पौधा लगाया जाता है. व्यावसायिक खेती के लिए शेडनेट का उपयोग किया जाता है जिसमें रेज्ड बेड में 30 बाई 30 या 40 बाई 40 सेंमी की दूरी पर पौधों को नमी वाले मौसम जैसे बरसात के बाद लगाना अच्छा होता है.
गर्मियों में पौधों की सुबह-शाम हल्की सिंचाई करनी चाहिए. जाड़े में दिन में एक बार जरूरत अनुसार पानी देना चाहिए. ज्यादा सिंचाई से पौधे को नुकसान पहुंचता है और बीमारियां होने की आशंका रहती है. खाद-उर्वरकों को सिंचाई के साथ देना पौधों के लिए लाभदायक होता है. एंथूरियम को वृद्धि और फूल उत्पादन के लिए खाद-उर्वरक की संतुलित मात्रा की ज़रूरत होती है. 200-250 किलो नाइट्रोजन, 200-150 किलो फॉस्फोरस और 250-300 किलो पोटाश प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर भूमि में मिलाना चाहिए. सूक्ष्म पोषक तत्वों को 10 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिट्टी में मिलाना चाहिए. इससे फूल अच्छे खिलते हैं और पौधों का विकास अच्छा होता है. अगर सिंचाई के साथ उर्वरक देना हो तो 8 किलो नाइट्रोजन, 12 किलो फॉस्फोरस और 24 किलो पोटाश के मिश्रण से 200 ग्राम, पोटाशियम सल्फेट 20 ग्राम, मैग्निशियम सल्फेट 40 ग्राम को 100 लीटर पानी में घोल कर उसमें 500 लीटर पानी मिला कर, दिन में दो बार सिंचाई करनी चाहिए. सप्ताह में एक बार कैल्शियम नाइट्रेट आधा ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर पौधे को देना चाहिए.
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एंथूरियम से प्रति पौधा प्रति वर्ष 5-7 फूल प्राप्त होते हैं. यह उपज किस्मों पर भी निर्भर करती है. जब फूल के स्पाइडेक्स पूरी तरह से खिल जाएं तभी फूलों को डंडी के साथ पौधे से काट कर पानी से भरी बाल्टी में रखना चाहिए. प्रति वर्ग मीटर 9 पौधे लगते हैं जिसमें प्रति पौध हर साल 5-7 फूल मिलते हैं. ऐसे में एक एकड़ में लगभग 36000 पौधे लगेंगे और इनसे साल भर में औसत 2,16,000 फूल मिलेंगे. अगर इनकी बिक्री कम से कम 25 रुपये प्रति फूल भी हुए, तो इनसे 54 लाख तक की कुल आय होगी, जिसमें 60 से 75 फीसदी तक अगर प्रोडक्शन कॉस्ट घटा दे., यानी 1 एकड़ पर 35-40 लाख का खर्च घटा दें तो भी 15-20 लाख का शुद्ध मुनाफा मिलेगा. इस तरह आप आधुनिक फूल एंथूरियम की मॉडर्न खेती से भरपूर कमाई कर सकेंगे.
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