बजट से पहले मोदी सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने (सीसीईए) ने मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दे दी है. 2025-26 सीजन के लिए कच्चे जूट (टीडी-3 ग्रेड) का एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. इसमें 315 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है. सरकार ने दावा किया है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान कच्चे जूट की एमएसपी में लगभग ढाई गुणा की वृद्धि की जा चुकी है. किसान आंदोलन के बीच जूट उगाने वाले किसानों को यह सौगात देना अहम माना जा रहा है.
कच्चे जूट का MSP 2025-26 सीजन के लिए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. इससे उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 66.8 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित होगा. साल 2025-26 सीजन के लिए कच्चे जूट का घोषित एमएसपी सरकार द्वारा बजट 2018-19 में घोषित उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी निर्धारित करने के सिद्धांत के अनुरूप है.
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केंद्र सरकार यह फैसला कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर लिया है. सरकार ने कहा कि 2025-26 सीजन के लिए कच्चे जूट के लिए एमएसपी में पिछले सीजन की तुलना में 315 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है. पिछले 10 वर्षों के दौरान, सरकार ने लगभग ढाई गुणा (2.35 गुणा) की वृद्धि करते हुए कच्चे जूट के लिए एमएसपी को 2014-15 में 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2025-26 में 5650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 से 2024-25 की अवधि के दौरान जूट उत्पादक किसानों को भुगतान की गई एमएसपी राशि 1300 करोड़ रुपये थी, जबकि 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान भुगतान की गई राशि 441 करोड़ रुपये थी.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के करीब 40 लाख किसान परिवारों की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर है. जूट मिलों और जूट के व्यापार में लगभग 4 लाख को रोजगार मिलता है. वहीं, पिछले साल 1 लाख 70 हजार किसानों से जूट खरीदा गया था. साथ ही देश में सबसे अधिक 82 फीसदी जूट किसान पश्चिम बंगाल से हैं जबकि असम और बिहार में जूट उत्पादन में 9-9 फीसदी की हिस्सेदारी है.
भारतीय जूट निगम (जेसीआई) मूल्य समर्थन परिचालन करने के लिए केन्द्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में काम करना जारी रखेगी. वहीं, ऐसे परिचालनों में होने वाली हानि की पूरी क्षतिपूर्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जाएगी.
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