फसल बीमा योजना में भारी गड़बड़ी का खुलासा, धार्मिक स्थलों को कृषि भूमि दिखाकर पैसा हड़पने की कोशिश

फसल बीमा योजना में भारी गड़बड़ी का खुलासा, धार्मिक स्थलों को कृषि भूमि दिखाकर पैसा हड़पने की कोशिश

कृषि मंत्री ने कहा कि 4 लाख से अधिक फसल बीमा आवेदनों को खारिज कर दिया गया है, जिनमें से कुछ आवेदन महाराष्ट्र के बाहर रहने वाले लोगों ने भी दाखिल किए गए थे. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से फर्जी आवेदनों से जुड़े बैंक खातों में राशि ट्रांसफर नहीं की गई है.

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फसल बीमा योजना में भारी गड़बड़ी का खुलासा, धार्मिक स्थलों को कृषि भूमि दिखाकर पैसा हड़पने की कोशिश राज्य सरकार ने फर्जी 4 लाख से अधिक फसल बीमा आवेदनों को रद्द किया है.

महाराष्ट्र सरकार की ओर से चलाई जा रही 1 रुपये में फसल बीमा योजना में भारी गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है. राज्य के कृषि मंत्री ने इन गड़बड़ियों को स्वीकार करते हुए बताया है कि धार्मिक स्थलों की खाली जमीनों को कृषि भूमि के रूप में दिखाकर फसल बीमा योजना का पैसा हड़पने की कोशिश की गई है. लेकिन, राशि जारी होने से पहले ही इसका भंडाफोड़ हो गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसे फर्जी 4 लाख से अधिक फसल बीमा के आवेदनों को खारिज कर दिया है. 

4 लाख से ज्यादा फर्जी आवेदन खारिज किए गए 

महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने किसानों के लिए 1 रुपये की फसल बीमा योजना में अनियमितताओं को स्वीकार किया है. एजेंसी के अनुसार कृषि मंत्री ने कहा कि फसल बीमा योजना में कई पहलुओं में गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं. राशि पाने के लिए पूजा स्थलों की खाली जमीनों को कृषि भूमि के रूप में दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि 4 लाख से अधिक फसल बीमा आवेदनों को खारिज कर दिया गया है, जिनमें से कुछ आवेदन महाराष्ट्र के बाहर रहने वाले लोगों ने भी दाखिल किए गए थे. उन्होंने कहा कि गड़बड़ियों का खुलासा हो गया है और सरकार की ओर से फर्जी आवेदनों से जुड़े बैंक खातों में राशि ट्रांसफर नहीं की गई है. 

किसानों ने शिकायत की तो शुरू हुई जांच में खुलासा 

1 रुपये में फसल बीमा योजना को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2023 के बजट में पेश किया था. इस योजना के तहत किसान मात्र एक रुपये में फसल बीमा करवा सकते हैं. इस योजना से पहले किसानों को बीमा प्रीमियम का 2 फीसदी बीमा कंपनी को देना पड़ता था. कृषि विभाग को फसल बीमा योजना को लागू करने में किसानों की ओर से कई शिकायतें मिली थीं. इनमें मुख्य रूप से बीमा राशि का भुगतान न करने और रिकॉर्ड में गड़बड़ी के आधार पर शिकायतें शामिल थीं. इसके बाद कृषि सचिव विकासचंद्र रस्तोगी ने समिति का नेतृत्व किया जिसने शिकायतों पर जांच शुरू की थी. 

96 कॉमन सर्विस सेंटर पर कार्रवाई के निर्देश 

कृषि मंत्री ने फर्जी आवेदनों के लिए कुछ कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) को जिम्मेदार ठहराया, जहां किसानों की डिटेल्स की डेटा एंट्री करने वाले लोगों को प्रति आवेदन 40 रुपये का भुगतान किया जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसे केंद्रों के संचालकों ने अधिक कमाई के लिए फर्जी आवेदन दाखिल किए. हमने ऐसे 96 केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि हमने अनियमितताओं को दूर करने के लिए अहम कदम उठाए हैं. पारदर्शिता के लिए किसानों को आधार से जुड़े विशिष्ट पहचान पत्र जारी किए जाएंगे. किसानों का एक अपडेटेड डेटाबेस तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि योजना में महत्वपूर्ण सुधार पेश किए जाएंगे. 

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