छत्तीसगढ़ के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने आर्थिक मदद करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर कल्याण योजना की शुरूआत कर दी है. मुख्यमंत्री ने कुछ लाभार्थियों को 10 हजार रुपये के चेक वितरित किए. लाभार्थियों को राशि वितरण के लिए राज्य सरकार ने 562 करोड़ रुपये से अधिक की व्यवस्था की है. राज्य सरकार के अनुसार खेतिहर मजदूरों को हर साल 10,000 रुपये दिए जाएंगे.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोमवार को भूमिहीन खेत मजदूरों को हर साल 10,000 रुपये की वित्तीय सहायता देने के लिए योजना शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री ने रायपुर में कुछ लाभार्थियों को 10,000 रुपये के चेक वितरित किए. बाकी को राशि वितरित की जा रही है. एजेंसी के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कदम से खेतिहर मजदूरों की शुद्ध आय बढ़ेगी और उनका अपना भविष्य सुरक्षित होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनावी वादे को हमने योजना लॉन्च कर पूरा कर दिया है. राज्य सरकार का फोकस किसान, मजदूर और खेती के विकास पर है.
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कहा गया है कि कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर कल्याण योजना के तहत 5.62 लाख से अधिक लाभार्थियों को कवर किया जाएगा. इसमें भूमिहीन खेत मजदूरों के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर सामाजिक समूहों को भी शामिल किया गया है. योजना के तहत मिलने वाले 10 हजार रुपये एक किस्त में ही लाभार्थियों के बैंक खातो में डाले जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक बड़ी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. ऐसे लोग भी हैं जिनके पास कृषि भूमि भी नहीं है और वे खेत मजदूर के रूप में अपनी आजीविका कमाते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए हमने भूमिहीन कृषि मजदूर भाइयों और बहनों को वित्तीय सहायता देने का वादा किया था. इसे अब हम पूरा कर रहे हैं. राज्य में कुल 5,62,112 खेतिहर मजदूर समेत आर्थिक रूप से कमजोर समूहों के लोग कल्याण कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे और उन्हें प्रति वर्ष 562.11 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी. इससे उनके बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य भी सुरक्षित करने में मदद मिलेगी. यह योजना उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बनेगी. उन्होंने कहा कि इस योजना में भूमिहीन कृषि मजदूरों के साथ-साथ वनोपज संग्राहक, चरवाहे, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई आदि भूमिहीन परिवारों को भी शामिल किया गया है. इसके अलावा अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के मंदिरों में पूजा करने वाले पुजारी, बैगा, गुनिया, माझी परिवारों को भी लाभार्थी के रूप में शामिल किया गया है.
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