तमिलनाडु में कावेरी जल छोड़ने के आदेश से नाखुश किसानों का एक समूह बुधवार से कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन कर रहा है. उन्होंने श्रीरंगपट्टनम मांड्या के पास रात भर मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन बुधवार सुबह शुरू हुआ जब किसानों ने तमिलनाडु को 15 दिनों के लिए 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की हालिया सिफारिश पर आपत्ति जताई. ये सिफ़ारिशें कावेरी जल विनियमन समिति (Kaveri Water Regulation Committee) की ओर से की गई थीं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को विरोध प्रदर्शन में एक निर्दलीय विधायक दर्शन पुत्तनैया भी शामिल हुए. कावेरी जल विवाद से जुड़े मामले को सुलझाने के लिए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार बेंगलुरु जाएंगे.
सूत्रों ने बुधवार को बताया कि मैसूर में कृष्णा राजा सागर (केआरएस) बांध और काबिनी जलाशय से पानी छोड़ा गया. केआरएस बांध और काबिनी जलाशय से पानी छोड़े जाने के खिलाफ विभिन्न किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया. कावेरी क्षेत्र के मांड्या और श्रीरंगपट्टनम में रात भर विरोध प्रदर्शन हुए.
बुधवार को अपना विरोध जारी रखने के बाद, कर्नाटक में किसान संगठनों ने इसे गुरुवार को भी जारी रखने की घोषणा की. वे पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक (क्यूबिक फीट प्रति सेकंड) कावेरी जल छोड़े जाने के खिलाफ मांड्या जिले में कृष्णा राजा सागर (केआरएस) जलाशय के पास एक ताजा विरोध प्रदर्शन करेंगे. मांड्या जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
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किसान यह कहते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं कि कावेरी बेसिन गंभीर सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है और जलाशयों में पानी की कमी इस क्षेत्र में पीने की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुश्किल से ही पर्याप्त है. सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई करने वाला है, जिसमें कर्नाटक के जलाशयों से 14 अगस्त से महीने के अंत तक प्रतिदिन 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की गई है. उम्मीद है कि कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार आज कर्नाटक की कानूनी टीम के साथ मामले पर चर्चा करेंगे.
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