आंध्र को सूखा मुक्त बनाने का सीएम नायडू ने लिया संकल्प, सिंचाई परियोजनाओं के खर्च करेंगे 70,000 करोड़ रुपये

आंध्र को सूखा मुक्त बनाने का सीएम नायडू ने लिया संकल्प, सिंचाई परियोजनाओं के खर्च करेंगे 70,000 करोड़ रुपये

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य को सूखा मुक्त बनाने का संकल्प लिया है. उन्होंने ऐलान किया कि टीडीपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार राज्य में सभी सिंचाई परियोजनाओं के लिए 2024 और 2029 के बीच 70,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी.

Advertisement
आंध्र को सूखा मुक्त बनाने का सीएम नायडू ने लिया संकल्प, सिंचाई परियोजनाओं के खर्च करेंगे 70,000 करोड़ रुपयेआंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और TDP प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू. (Photo: ITG)

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने घोषणा की कि टीडीपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार राज्य में सभी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 2024 और 2029 के बीच 70,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी. विधानसभा को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि राज्य में कुल 402 लाख एकड़ भूमि में से केवल 27 प्रतिशत भूमि ही सिंचित है. उन्होंने कहा कि इन पांच सालों में हम राज्य में सभी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने और आगे बढ़ने के लिए 60,000 करोड़ रुपये नहीं, बल्कि 70,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेंगे.

1 साल में सिंचाई पर 12,454 करोड़ खर्च

मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने बताया कि पिछली टीडीपी सरकार (2014-19) ने सिंचाई पर 68,417 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जबकि वाईएसआरसीपी सरकार (2019-24) ने केवल 28,376 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके विपरीत, नायडू ने कहा कि एनडीए सरकार ने केवल एक साल में ही सिंचाई पर 12,454 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं. आगे की योजनाओं का खुलासा करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य की सभी नदियों को आपस में जोड़ने की ज़िम्मेदारी लेगी. टीडीपी सुप्रीमो ने सदन को बताया कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष नदियों को जोड़ने का मुद्दा उठाया तो उन्होंने कहा कि कुछ राज्य "पिछड़े हुए हैं और मतभेद हैं."

नदियों को जोड़ने से कृषि को मिलेगा बढ़ावा

सीएम नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि "उत्साही राज्य" पहले अपनी सीमाओं के भीतर नदियों को जोड़ने का काम शुरू कर सकते हैं, और समय के साथ, राष्ट्रीय स्तर पर गंगा-कावेरी लिंक परियोजना को आगे बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसी भावना के साथ, पहले राज्य के रूप में, मैं नदियों को जोड़ने का काम शुरू कर रहा हूं. एनडीए सरकार सभी नदियों को जोड़ने का काम अपने हाथ में लेगी. उन्होंने आगे कहा कि आंध्र प्रदेश में 40 नदियां हैं. नदियों को जोड़ने से कृषि को काफी बढ़ावा मिलेगा. इस साल 2.1 प्रतिशत कम बारिश के बावजूद, 94 प्रतिशत जलाशय भरे हुए हैं और 1,040 टीएमसी जल भंडार उपलब्ध है. 

आंध्र प्रदेश को सूखा-मुक्त बनाने का संकल्प

सीएम नायडू ने यह भी कहा कि पुनर्भरण उपायों के कारण भूजल स्तर में 1.5 मीटर की वृद्धि हुई है और सभी विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लघु सिंचाई टैंकों की ज़िम्मेदारी लेने का निर्देश दिया. उन्होंने आंध्र प्रदेश को "सूखा-मुक्त और अकाल-मुक्त" राज्य बनाने का संकल्प लिया है. पोलावरम परियोजना के बारे में, नायडू ने कहा कि 86 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं और विश्वास व्यक्त किया कि यह विशाल परियोजना दिसंबर 2027 तक पूरी हो जाएगी. 

2025-26 की योजनाएं प्रस्तुत करते हुए, उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य 4.75 लाख एकड़ नए आयाकट की सेवा और 3.2 लाख एकड़ भूमि को स्थिर करने के लिए नौ परियोजनाओं को पूरा करना है. इनमें बीआरआर वंशधारा परियोजना (फेज II-स्टेज II), हीरामंडलम लिफ्ट सिंचाई योजना, और नागावली तथा चंपावती नदियों को जोड़ने की परियोजनाएं शामिल हैं, जिनकी शेष लागत 2,098 करोड़ रुपये है.

लघु सिंचाई कार्यों के जीर्णोद्धार के लिए परियोजना

इसी तरह, रायलसीमा में 7,853 करोड़ रुपये की 6 परियोजनाएं पूरी की जाएंगी, जिनमें वेलिगोंडा परियोजना (चरण I), अपर पेन्नार एलआईएस और कडप्पा तक गैलेरू नगरी सुजला श्रावंथी (जीएनएसएस) शामिल हैं. उन्होंने बताया कि सरकार सभी लघु सिंचाई कार्यों के जीर्णोद्धार के लिए एक परियोजना भी शुरू कर रही है. नायडू ने सदन को बताया कि उन्होंने तेलंगाना को बताया है कि अगर वे वर्तमान में समुद्र में जा रहे पानी का दोहन करें तो दोनों राज्यों को लाभ हो सकता है. 

वाईएसआरसीपी की आलोचना करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि 2019 से 2024 के बीच सिंचाई क्षेत्र की उपेक्षा की गई, यहां तक कि नहरों का भी ठीक से रखरखाव नहीं किया गया. 10 मेडिकल कॉलेजों के साथ पीपीपी समझौतों के खिलाफ वाईएसआरसीपी के विरोध पर, नायडू ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि इससे दक्षता आएगी. पीपीपी मॉडल के तहत संचालित राजमार्गों का हवाला देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी कंपनियां एक निश्चित अवधि तक इनका प्रबंधन करती हैं और फिर इन्हें सरकार को वापस सौंप देती हैं. उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि उनका हर निर्णय "दूरदर्शिता से प्रेरित" होगा. (सोर्स- PTI)

ये भी पढ़ें-

POST A COMMENT