दुबई में आई बाढ़ इस समय पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रही है. रेगिस्तानी शहर दुबई में मंगलवार को हुई भारी बारिश की वजह से हाइवे से लेकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पर सबकुछ ठप हो गया. हर तरफ पानी ही पानी था और 24 घंटे में इतनी बारिश हुई जितनी डेढ़ साल में नहीं हुई थी. यूएई सरकार ने भारी बारिश से पहले चेतावनी जारी की थी. इसमें लोगों से घर पर रहने और सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक जिस बारिश ने दुबई को पानी में डुबा दिया, वह अरब प्रायद्वीप के बाद अब ओमान की खाड़ी में आगे बढ़ने वाली एक बड़े स्टॉर्म सिस्टम से जुड़ी हुई हैं. हालांकि कुछ लोग इसे क्लाउड सीडिंग से भी जोड़ रहे हैं. हालांकि नवंबर 2023 में दिल्ली सरकार ने भी इस तकनीक के प्रयोग को अपनाने का विचार किया था.
दुबई में इस बारिश की वजह से 18 लोगों की मौत हो गई है. इंपीरियल कॉलेज लंदन में ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज के ओटो ने न्यूज एजेंसी एएफपी से कहा, 'इस बात की बहुत अधिक आशंका है कि ओमान और दुबई में विनाशकारी बारिश क्लाइमेट चेंज की वजह से हुई है.' ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि दुबई में भारी बारिश आंशिक रूप से क्लाउड सीडिंग के कारण हुई. यूएई ने पानी की सुरक्षा जैसे मसलों पर ध्यान देने के लिए साल 2002 में क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन शुरू किया था. इस तकनीक में बादलों से अधिक वर्षा कराने के लिए रसायनों और छोटे कणों - अक्सर पोटेशियम क्लोराइड जैसे नैचुरल तत्वों को को वायुमंडल में इंजेक्ट कराया जाता है.
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दुबई के मौसम वैज्ञानिक अहमद हबीब ने ब्लूमबर्ग को बताया कि सीडिंग एयरक्राफ्ट ने पिछले दो दिनों में सात मिशनों को अंजाम दिया. उन्होंने कहा कि यूएई के लिए सही किसी भी बादल के लिए आप ऑपरेशन कर सकते हैं. क्लाइमेट चेंज ने इसमें कितनी भूमिका निभाई, इसका ठीक-ठीक अनुमान लगाना अभी तक संभव नहीं है. इसके लिए प्राकृतिक और मानवीय कारकों के पूर्ण वैज्ञानिक विश्लेषण की आवश्यकता है, जिसमें कई महीने लग सकते हैं. लेकिन रिकॉर्ड बारिश इस बात के अनुरूप है कि जलवायु कैसे बदल रही है.
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क्लाउड सीडिंग का प्रयोग साल 2008 में हुए बीजिंग ओलंपिक्स में भी किया गया था. चर्नोबिल संकट के समय भी क्लाउड सीडिंग की मदद से ही रेडियोएक्टिव बादलों को हटाया गया था. हालांकि वैज्ञानिक इसे मानने से इनकार कर रहे हैं. कई मीडिया आउटलेट्स को दिए एक बयान में एनसीएम, जो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में क्लाउड-सीडिंग ऑपरेशन की देखरेख करता है, ने कहा कि तूफान से पहले या उसके दौरान ऐसे कोई क्लाउड-सीडिंग ऑपरेशन नहीं हुए थे.
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नवंबर 2023 में जब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्मॉग और प्रदूषण की गहरी चादर से ढंकी थी, तो उस समय क्लाउड सीडिंग के जरिये बारिश की योजना थी. 20 या 21 नवंबर को दिल्ली में कृत्रिम बारिश की योजना थी. लेकिन मौसम संबंधी स्थितियां क्लाउड सीडिंग के लिए प्रतिकूल थीं तो इस वजह से इसे टाल दिया गया. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), कानपुर को दिल्ली में इस प्रयोग को अंजाम देना था. लेकिन उसने कहा कि राजधानी को प्रभावित करने के लिए एक मजबूत वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की जरूरत है जो कृत्रिम रूप से बारिश को प्रेरित करने के लिए पर्याप्त बादल कवर प्रदान कर सके.
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