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ऑयलमील के निर्यात में पिछले 10 साल का बड़ा उछाल, सोयाबीन किसानों को फायदा

ऑयलमील के निर्यात में पिछले 10 साल का बड़ा उछाल, सोयाबीन किसानों को फायदा

देश में ऑयलमील के निर्यात में बड़ी तेजी देखी जा रही है. इससे सबसे अधिक फायदा सोयाबीन किसानों को मिल रहा है क्योंकि मार्केट में इसकी डिमांड बढ़ी है. निर्यात के अलावा घरेलू मार्केट में भी सोयाबीन की मांग अच्छी है जिसका इस्तेमाल खाद्य सामानों के अलावा फीड में भी किया जाता है.

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ऑयलमील का एक्सपोर्ट ऑयलमील का एक्सपोर्ट

ऑयलमील के निर्यात में बड़ा उछाल दर्ज किया जा रहा है. पिचले दस साल का रिकॉर्ड देखें तो इसमें इस साल सबसे बड़ी तेजी दर्ज की गई है. मात्रा के लिहाज से निर्यात में 13 परसेंट और वैल्यू के लिहाज से 35 परसेंट की वृद्धि दर्ज की गई है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEAI) ने इसका डेटा जारी किया है. एसईएआई ने बताया है कि भारत ने इस साल 15370 करोड़ रुपये के 48.85 लाख टन के ऑयलमील का एक्सपोर्ट किया है. पिछले साल 11400 करोड़ रुपये के 43.36 लाख टन ऑयलमील का निर्यात किया गया था. ऑयलमील में सबसे अधिक योगदान सोयाबीन का होता है. इसलिए बढ़े निर्यात का फायदा सोयाबीन किसानों को भी मिल रहा है.

SEA के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर बीवी मेहता ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, 2013-14 के बाद इस साल ऑयमील का सबसे अधिक निर्यात हुआ है. यह निर्यात मात्रा और वैल्यू दोनों में अधिक है. 2013-14 में 11500 करोड़ रुपये के 43.81 लाख टन ऑयलमील का निर्यात हुआ था. मेहता ने कहा कि इस साल एक्सपोर्ट में बंपर उछाल देखा गया है. विश्व बाजार में भारत के सोयाबीन मील की सबसे अधिक मांग है क्योंकि अन्य देशों की तुलना में इसकी क्वालिटी अच्छी है और दाम भी कम है. यही कारण है कि दुनिया के अलग-अलग बाजारों में हमेशा यहां के सोयामील और ऑयलमील की मांग बनी हुई है.

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निर्यात में उछाल

रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में रेपसीड मील का निर्यात 22.13 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में यह निर्यात 22.97 लाख टन का रहा था. पिछले तीन साल में देश में रेपसीड का उत्पादन बढ़ा है. यही वजह है कि इसके ऑयलमील के निर्यात में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. एक छोटी परेशानी ये आई है कि भारत से सोयाबीन मील का निर्यात तेजी से बढ़ा है, इसलिए पिछले एक-दो साल में रेपसीड मील का निर्यात थोड़ा धीमा पड़ा है. 

पिछले साल जुलाई में सरकार ने डी-ऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर रोक लगा दी थी. उससे पहले अप्रैल-जुलाई 2023 की अवधि में 1.52 लाख टन राइस ब्रान का निर्यात किया गया था. उसके बाद सरकार ने 28 जुलाई 2023 से 31 जुलाई 2024 तक राइस ब्रान के निर्यात पर रोक लगा दी. राइस ब्रान की सबसे अधिक प्रोसेसिंग पूर्वी भारत में होती है. आशंका जताई जा रही है कि सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखा तो वहां प्रोसेसिंग का काम प्रभावित हो सकता है क्योंकि निर्यात गिरने से मांग में भी कमी दर्ज की जाएगी. 

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एक्सपर्ट बताते हैं कि राइस ब्रान के निर्यात पर बैन जारी रहता है तो इससे केवल राइल मिलर ही प्रभावित नहीं होंगे बल्कि राइस ब्रान ऑयल के उत्पादन पर भी बुरा असर होगा. देशों की बात करें तो भारत के ऑयलमील का सबसे बड़ा खरीदार बांग्लादेश है जबकि दूसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया है. तीसरे स्थान पर थाइलैंड का नाम आता है. इन देशों में भारत के ऑयलमील की बहुत मांग है.