scorecardresearch
2050 तक गंभीर जल संकट से फसेंगे देश के 50 फीसदी जिले, पढ़ें क्या कहती है रिपोर्ट

2050 तक गंभीर जल संकट से फसेंगे देश के 50 फीसदी जिले, पढ़ें क्या कहती है रिपोर्ट

एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि साल 2050 तक देश के 50 फीसदी जिले गंभीर जल संकट से जूझ रहे होंगे. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इसके कारण 2050 तक देश में प्रति व्यक्ति को 15 प्रतिशत पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है. भारत में जल संसाधनों पर दबाव बढ़ने के पीछे जो प्रमुख कारण बताए गए हैं, उनमें बढ़ती जनसंख्या और बढ़ता प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है.

advertisement
2050 तक देश के 50 फीसदी जिलों में होगा जल संकट(सांकेतिक तस्वीर) 2050 तक देश के 50 फीसदी जिलों में होगा जल संकट(सांकेतिक तस्वीर)

भारत में आने वाले दशकों में पानी को लेकर गंभीर समस्या पैदा होने वाली है. एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि साल 2050 तक देश के 50 फीसदी जिले गंभीर जल संकट से जूझ रहे होंगे. बता दें कि भारत की गिनती दुनिया के उन देशों में होती है जो पानी को लेकर फिलहाल संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में यह रिपोर्ट भारत के लिए चिंता का विषय है. खासकर कृषि और किसानों को यह बेहद प्रभावित करने वाली रिपोर्ट है. देश में कृषि क्षेत्र में पानी की दक्षता में सुधार को लेकर जारी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है. 

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इसके कारण 2050 तक देश में प्रति व्यक्ति को 15 प्रतिशत पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है. जबकि उस वक्त तक पानी की मांग बढ़कर और 30 प्रतिशत तक अधिक हो जाएगा. जो मांग और आपूर्ति के बड़े अंतर को उजागर करता है. साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया है कि साल 2050 तक देश के 59 प्रतिशत जिले गंभीर जस संकट की समस्या का सामना कर रहे होंगे. गौरतलब है कि भारत में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी निवास करती है जबकि यहां पर शुद्ध जल के संसाधनों की संख्या मात्र चार प्रतिशत है. 

ये भी पढ़ेंः अलविदा El Nino! जुलाई में एक्टिव होगा ला-नीना, मॉनसून में होगी झमाझम बारिश 

जल संकट से गुजर रही बड़ी आबादी

भारतीय कृषि में जल दक्षता को बढ़ावा दने वाली ट्रांसफॉर्मिंग क्रॉप कल्टीवेशन की रिपोर्ट में यह भी कहा यहा है कि वर्तमान में दुनिया की दो तिहाई आबादी गंभीर जल संकट के दौर से गुजर रही है. इस रिपोर्ट को डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन ने जारी किया है जिसे डीसीएम श्रीराम और सतत्व ज्ञान संस्थान का समर्थन प्राप्त है जो इकोसिस्टम पर हो रहे बदलावों का अध्ययन करती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय भारत में उपयोग करने योग्य जल संसाधन 1123 बिलियन क्यूबिक मीटर है जो लगभग 40 करोड़ ओलिंपिक स्विंमिंग पूल के बराबर है. इसमें यह भी कहा गया है कि देश के मौजूदा जल स्रोतों पर बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है.

क्या कहती है फाल्केनमार्क इंडेक्स

भारत में जल संसाधनों पर दबाव बढ़ने के पीछे जो प्रमुख कारण बताए गए हैं उनमें बढ़ती जनसंख्या और बढ़ता प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र के लिए भी पानी का अंधाधुंध दोहन किया जा रहा है. फाल्केनमार्क इंडेक्स के अनुसार जिन क्षेत्रों में पानी उपलब्धता प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति 1700 क्यूबिक मीटर से भी कम है उन क्षेत्रों में लोगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा. फाल्केनमार्क इंडेक्स के आधार पर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस वक्त देश की 76 फीसदी आबादी पानी के संकट से जूझ रही है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भूगर्भ जल की कमी की स्थिति और गंभीर होती जा रही है. इसमें कृषि क्षेत्र के लिए सबसे अधिक 80-90 फीसदी पानी निकाला जा रहा है जो एक चिंताजनक स्थिति है. 

ये भी पढ़ेंः ड्रिप सिंचाई मशीन पर सब्सिडी चाहिए तो पढ़े लें ये नियम, इन 3 शर्तों पर ही मिलती है छूट  

कृषि के लिए होता है सबसे अधिक पानी का इस्तेमाल

भारत में पानी की कमी की एक प्रमुख वजह कृषि क्षेत्र भी है क्योंकि देश में 90 फीसदी पानी की निकासी के लिए यही क्षेत्र जिम्मेदार है. एक कृषि प्रधान देश होने के नाते भारत में जलाशय सिंचाई के सबसे बड़े स्त्रोत हैं. जिसमें कुल जल भंडार का 84 प्रतिशत उपयोग होता है. घरेलू क्षेत्र और औद्योगिक क्षेत्र और यह प्रवृत्ति 2025 और 2050 के अनुमानों के अनुसार जारी रहने वाली है. कृषि क्षेत्र में पानी की यह खपत प्रमुख रूप से कुछ फसलों के लिए ही होती है. खास कर इन फसलों की प्राकृतिक विशेषताओं और उन्हें उगाने के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है.भारत के कुल फसल उत्पादन का कम से कम 90 प्रतिशत चावल, गन्ना और गेहूं है.