देश के कई राज्यों में इस समय अच्छी बारिश हो रही है. खास कर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और पहाड़ी इलाकों में जोरदार बारिश हो रही है. इन क्षेत्रों में हो रही जोरदार बारिश लोगों को लिए मुसिबत बनी हुई है. भारी बारिश के कारण गंगा नदी में जलस्तर बढ़ गया है. नदी उफान पर है. गंगा के बढ़े हुए जलस्तर ने पूर्वी उत्तर प्रदेश खास कर चंदौली में किसानों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. गंगा नदीं में बढ़े हुए जलस्तर के कारण नदी के कछार में किसानों द्वारा सैंकड़ों एकड़ में उगाई गई फसल और पशु चारा के खेत पानी में डूब गए हैं. इसके कारण किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
आलम यह है कि किसान अपने फसलों को बचाने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे हैं. चंदौली जिले के नियमताबाद प्रखंड के सहजौर गांव के सामने गंगा नदी के कछार पर किसान अपने फसलों और सब्जियों को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं. नदी के पानी से सभी खेत जलमग्न हो चुके हैं. हालांकि चंदौली में गंगा नदी फिलहाल खतरे के निशान से नीचे बह रही है लेकिन नदी के तटवर्ती इलाकों के खेतों में पानी चला गया है, इसके कारण किनारों में खेती करने वाले किसानों की परेशानी बढ़ गई है.
ये भी पढ़ेंः अगस्त के पहले हफ्ते में हुई सीजन की सबसे अधिक बारिश, जानिए आगे कैसा रहेगा मौसम
दरअसल चंदौली जनपद के पड़ाव इलाके से लेकर गाजीपुर के जमानिया बॉर्डर तक गंगा नदी के किनारे रहने वाले लोग भारी मात्रा में हरी सब्जियों की खेती करते हैं.लेकिन गंगा नदी में बाढ़ आने की वजह से इन किसानों की सैकड़ो एकड़ में लगी सब्जी की खेती बर्बाद हो गई है. यही नहीं इन इलाकों के किसान अपने पशुओं को खाने के लिए चारा भी उगाते हैं. जो गंगा के पानी में डूब कर बर्बाद हो चुके हैं.
ये भी पढ़ेंः गुलाब का दुश्मन है लाल मकड़ी कीट, इस मौसम में होता है सबसे ज्यादा अटैक
सहजौर गांव के युवा किसान विनय चौहान ने कहा कि यहां पर 70-80 बीघा जमीन में सब्जी की खेती को नुकसान हुआ है. इस जमीन पर किसानों ने करैला, नेनुआ, परवल और भिंडी की खेती की थी. लेकिन किसानों की यहमनत अब पूरी तरह गंगा के पानी में डूब चुकी है. विनय चौहान ने बताया कि जब भी क्षेत्र में गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो हर बार किसानों को इसी तरह का नुकसान उठाना पड़ता है. परेशानी वाली बात यह है कि इसके बदले किसानों को मुआवजा भी नहीं मिलता है. वहीं अन्य युवा किसान अमित कुमार ने बताया कि उन्हें भी 5-6 बीघा में नुकसान हुआ है. जिसमें सब्जी और पशु का चारा उगाया गया था. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पशु चारे के लिए सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today