राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसानों के पहुंचने से पहले केंद्र सरकार सतर्क हो गई है. उसने महाराष्ट्र में प्याज किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए उनसे बातचीत शुरू कर दी है. यही वजह है कि कृषि और किसान कल्याण विभाग की एक टीम ने हाल ही में प्याज उत्पादकों से बातचीत करने और खेती की स्थिति का आकलन करने के लिए नासिक स्थित एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी का दौरा किया. इस टीम ने रबी की खेती, अनुमानित उत्पादन, विलंबित खरीफ उत्पादन और प्रमुख कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) में आवक के बारे में अनुमान एकत्र किए.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि और किसान कल्याण विभाग की टीम ने यह दौरा प्याज उत्पादक किसानों के आंदोलन करने की धमकी के बाद किया है. ऐसे में मानाज जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले सरकार नाराज प्याज उत्पादक किसानों को मनाने की कोशिश कर रही है, ताकि चुनाव में नुकसान नहीं उठाना पड़ जाए. वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि किसान केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर बैन लगाने से काफी नाराज हैं. किसानों का कहना है कि प्याज निर्यात पर बैन लगाने से प्याज का भाव काफी गिर गया है. इससे वे लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसे में वे केंद्र से प्याज निर्यात पर से बैन हटाने की भी मांग कर रहे हैं.
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अभी नासिक में डिंडोरी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री भारती पवार, प्याज किसानों के संगठनों के भीतर विकास की बारीकी से निगरानी कर रही हैं. वह किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए उनके साथ सक्रिय रूप से संवाद कर रही हैं और उन्हें समर्थन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया है. वहीं, महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि नेफेड और एनसीसीएफ ने किसानों की सहायता के लिए दो लाख टन प्याज खरीदने की योजना की घोषणा की है. हालांकि, खरीद प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में हमने मांग की है कि खरीद के बजाय, सरकार को सीधे किसानों को प्याज के लिए 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मुआवजा देना चाहिए. वहीं, किसानों का आरोप है कि अधिकांश लोग खरीद केंद्रों से अनभिज्ञ हैं, जिससे उनकी शिकायतें और बढ़ गई हैं. दरअसल, सितंबर महीने के बाद प्याज अचानक महंगा हो गया था. 30 से 35 रुपये किलो मिलने वाला प्याज अचानक 70 रुपये किलो हो गया था. ऐसे में सरकार के ऊपर महंगाई को कम करने को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा था. इसलिए सरकार ने प्याज निर्यात पर बैन लगाने का फैसला किया.
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