![झारखंड के किसानों के लिए जारी कृषि सलाह (सांकेतिक तस्वीर) झारखंड के किसानों के लिए जारी कृषि सलाह (सांकेतिक तस्वीर)](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/ktak/images/story/202404/660bea98e7b43-jharkhand-farmers-02230428-16x9.jpg?size=948:533)
झारखंड के मौसम में बदलाव हो रहा है. रबी फसलों की कटाई हो चुकी है और किसान अब सब्जियों की खेती कर रहें है. इस बीच तेज धूप हो रही है और अधिकतम तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है. इसे देखते हुए मौमम विभाग ने झारखंड के किसानों के लिए कृषि सलाह जारी की है. इन सलाहों का पालन करके किसान इस मौसम में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं. भारत मौसम विभाग यानी कि IMD की तरफ से जारी सलाह में कहा गया है कि अगले कुछ दिनों में तापमान में बढ़ोतरी होगी. साथ ही तेज हवाएं चलने की संभावना है. इसे देखते हुए किसान अपनी खड़ी फसल में सुबह या शाम के समय सिंचाई करें.
किसानों के लिए सामान्य सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि फसलों में अगर किसी भी तरह के कीटनाशक या दवाओं का छिड़काव करना हो तो साफ मौसम को देखते हुए करें. साथ ही जिन किसानों ने रबी फसलों की कटाई कर ली है, वे उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखें. जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था है, वे रबी फसल की कटाई के बाद सब्जियों की खेती करने के लिए खेत को तैयार करें और सब्जियों की बुवाई करें. खेत तैयार करने से पहले जुताई करने के बाद मिट्टी को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही छोड़ दें. इससे मिट्टी में मौजूद खरपतवार और कीड़े मकोड़े नष्ट हो जाएंगे.
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गरमा धान की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि खेतों में जल जमाव बनाए रखने के लिए खेतों के मेड़ को दुरुस्त रखें. जिन किसानों ने 6-7 हफ्ते पहले गरमा धान की खेती की है, वे किसान मौसम साफ रहने पर अपने खेत में प्रति एकड़ की दर से 25-28 किलोग्राम यूरिया का भुरकाव करें. मौसम साफ होने पर ही भुरकाव करें. खेतों में यूरिया के भुरकाव से पहले खरपतवार को खेत से अवश्य हटा दें. कहीं कहीं पर इस समय धान की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप हो सकता है. इसमें पत्तियों में नाव के आकार का भूरा धब्बा बनता है. इस रोग से फसल को बचाने के लिए ट्राइसाइक्लाजोल 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 0.6 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर मौसम साफ होने पर छिड़काव करें.
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गर्मियों के मौसम में पशुओं को हरे चारे की कमी हो जाती है. इस समस्या से निपटने के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था है, वे ज्वार की बुवाई करें. इसमें प्रोटीन की मात्रा 40 प्रतिशत होती है. बुवाई के लिए किसान ज्वार की किस्म रियो 988, पुसाचरी 615 या हरा सोना का चुनाव कर सकते हैं. किसान इन उन्नत किस्म की बीजों को 16-18 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. किसान यह ध्यान रखें कि बीजों की बुवाई से पहले फंफूदनाशक थाइरम 75 डब्ल्यूपी का 1.5 ग्राम प्रति किलो बीज के साथ उपचार करें. इसके साथ ही जिन किसानों ने लतर वाली सब्जियों की खेती की है और जिनकी बढ़वार अच्छी है, वे उनमें सहारे के लिए डंडा या रस्सी आदि लगा दें. साथ ही कीटों के बचाव के लिए निरंतर खेतों की निगरानी करें.
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