खरपतवार, किसी भी अनचाहे पौधे को दर्शाता है जो बगीचे, खेत या अन्य खेती वाले क्षेत्र में उगता है. ये पौधे पोषक तत्वों, पानी और सूरज की रोशनी के लिए वांछित पौधों के साथ लड़ता है और फसलों में इन चीजों की कमी का कारण बंता है. जिससे फसलों की उपज और गुणवत्ता कम हो सकती है. इतना ही नहीं खरपतवार कीटों और बीमारियों को भी जगह देता है जो आस-पास की फसलों में फैल सकता हैं, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है और फसल स्वास्थ्य खराब हो सकता है. ऐसे में आज बात करेंगे दुनिया के सबसे खतरनाक खरपतवार के बारे में जो सरसों और जीरा को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है.
मरगोजा खरपतवार एक वार्षिक पौधा है, जो केवल बीज द्वारा ही फैलता है. इसके बीज बहुत छोटे, अंडाकार, गहरे भूरे-काले रंग के होते हैं, जो आसानी से दिखाई नहीं देते. एक पौधा एक से दो लाख बीज पैदा करने की क्षमता रखता है और बीज 10 से 15 साल तक जमीन में पड़े रहने के बाद भी दोबारा उग सकते हैं.
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यह खरपतवार सरसों और जीरा की बुआई के लगभग 7-10 दिन बाद उगना शुरू हो जाता है. सरसों और जीरा के पौधे की जड़ें एक विशेष प्रकार का रासायनिक पदार्थ छोड़ती हैं जिसे ओरोबैंकेल/इलेक्ट्रोल कहा जाता है, जो मरगोजा के उत्पादन में मदद करता है. ये खरपतवार छोटी-छोटी जड़ों के रूप में सरसों और जीरा की जड़ों से जुड़ जाते हैं, जिनसे मरगोजा सरसों और जीरा के पौधों के लिए उपलब्ध खनिज, पोषक तत्व और पानी निकाल लेता है. इससे सरसों और जीरा के पौधे कमजोर हो जाते हैं और पौधा सूख जाता है, जिसका असर पैदावार पर पड़ता है.
इसके बचाव के लिए कृषि अधिकारी का कहना है की सही समय पर उचित मात्रा में दवाई के छिड़काव से मरगोजा पर नियंत्रण पाया जा सकता है. साथ ही सरसों की खेती के लिए कृषि अधिकारी का कहना है कि मरगोजा से प्रभावित सरसों में ग्लाइफोसेट 41 प्रतिशत (उत्पाद) 25 मी. ली. प्रति एकड़ बीजाई के 30 दिन बाद 120 से 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे. इसके अलावा 50 मी. ली. ग्लाइफोसेट बीजाई के 60 दिन बाद 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे. इससे मरगोजा पर 80 से 90 फीसदी तक नियंत्रण किया जा सकता है.
मरगोजा के नियंत्रण के लिए छिड़काव करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि खेत में पर्याप्त पानी न हो. इसके अलावा मौसम साफ होना चाहिए और फ्लैट फैन नोजल के जरिए छिड़काव करना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण पौधों पर छिड़काव केवल एक बार ही करना चाहिए, क्योंकि यह खरपतवारनाशी गैर-चयनात्मक है, इसलिए यह फसल को नुकसान पहुंचा सकता है.
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