सुख-शांति और स्वास्थ्य प्रदान करता है अग्निहोत्र यज्ञ, जानें कृषि में इसके फायदे

सुख-शांति और स्वास्थ्य प्रदान करता है अग्निहोत्र यज्ञ, जानें कृषि में इसके फायदे

अग्निहोत्र यत्र की शुरुआत सबसे पहले भोपाल स्थित माधव आश्रम में माधव पोतदार 'साहब' के द्वारा की गई थी. अग्निहोत्र हवन जिसे करने के लिए तांबे या मिट्टी के पात्र की आवश्यकता होती है. यह पात्र पिरामिड के आकार का होता है. जिसमें गाय के गोबर से बने हुए कंडे को रखा जाता है और उसमें साबुत चावल के साथ गाय का शुद्ध घी मिलाकर आहुति डाली जाती है.

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सुख-शांति और स्वास्थ्य प्रदान करता है अग्निहोत्र यज्ञ, जानें कृषि में इसके फायदेअग्निहोत्र यज्ञ

कानपुर में अग्निहोत्र नगर स्थित अग्नि मंदिर में अग्निहोत्र जयंती का आयोजन किया गया. जिसमें  महामृत्युंजय यज्ञ एवं सामूहिक अग्निहोत्र किया गया. इस दौरान वहां मौजूद सैकड़ो भक्तों ने पूजा अर्चना कर यज्ञ में आहुति दी. अग्निहोत्र वेदों में बताई हुई एक हवन पद्धति के अनुसार सूर्य अस्त के  दौरान आहुति दी गई. 22 फरवरी को अग्निहोत्री जयंती हर साल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. जहां पर बड़ी संख्या में लोग अपने परिवार के साथ पहुंचते हैं, साथ ही साथ अग्निहोत्री यज्ञ में हिस्सा लेते हैं. अग्निहोत्र वेदों में बताई हुई एक हवन पद्धति है, जो सूर्योदय और सूर्यास्त पर होती है. 

अग्निहोत्र यत्र की शुरुआत सबसे पहले भोपाल स्थित माधव आश्रम में माधव पोतदार 'साहब' के द्वारा की गई थी. अग्निहोत्र हवन जिसे करने के लिए तांबे या मिट्टी के पात्र की आवश्यकता होती है. यह पात्र पिरामिड के आकार का होता है. जिसमें गाय के गोबर से बने हुए कंडे को रखा जाता है और उसमें साबुत चावल के साथ गाय का शुद्ध घी मिलाकर आहुति डाली जाती है. सूर्योदय के समय सूर्याय स्वाहा, सूर्याय इदं न मम... प्रजापतये स्वाहा, प्रजापतये इदं न मम' मंत्र का पाठ करते हुए आहुति दी जाती है. इसी प्रकार सूर्यास्त के वक्त अग्नेय स्वाहा, अग्नेय इदं न मम व प्रजापतये स्वाहा, प्रजापतये इदं न मम मंत्रोच्चार कर आहुति की जाती है.  

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कैसे होती है अग्निहोत्र कृषि? 

अग्निहोत्र हवन करने के बाद जो राख (भस्म) बचती है, उसका इस्तेमाल खेती करने के लिए होता है. साथ ही खेत में अग्निहोत्र हवन करने से शुद्ध वातावरण का घनत्व बढ़ता है, जिससे फसल में आपको आश्चर्यचकित करने वाले परिणाम दिखेंगे. इस पद्धति में फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक खेत में अग्रिहोत्र करना होता है.अग्रिहोत्र यज्ञ कराने के लिए दांपत्य जीवन जरूरी है साथ ही वैदि ब्राह्मण को पुत्र भी होना जरूरी है. गाय के घी, गोबर और लकड़ी से ही अग्निहोत्र यज्ञ करने की परंपरा है. 

 

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क्या होता है अग्निहोत्र यज्ञ

अग्रिहोत्र एक प्रकार का वैदिक यज्ञ है.इस यज्ञ का वर्णन यजुर्वेद में मिलता है. इस यज्ञ को रोज सुबह और शाम में करने का विधान है. अग्निहोत्र यज्ञ करने के सुख शांति की अनुभूति होती है. स्वास्थ्य बेहतर रहता है साथ ही पर्यावरण शुद्ध होता है. इस यज्ञ को लेकर सबसे खास बात यह है कि अग्निहोत्र यत्र करने वाले के घर में सदैव अग्नि प्रज्जवलित होती रहती है. वह इसी आग में तैयार भोजन का सेवन करते हैं. अग्रिहोत्र यज्ञ करने वाले घर के बाहर का खाना नहीं खाते हैं. पर अगर किन्ही कारणों से उन्हें बाहर खाना खाना पड़ा तो वह अग्नि मंथन से अग्रि प्रज्जवलित करते हैं. (सिमर चावला की रिपोर्ट)
 

 

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