महाराष्ट्र में पिछले साल की तुलना में इस साल ग्रीष्मकालीन प्याज के रकबे में गिरावट आई है. कहा जा रहा है कि उत्तरी महाराष्ट्र के चार जिलों में प्याज के क्षेत्र में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इन जिलों में नासिक, धुले, नंदुरबार और जलगांव का नाम शामिल है. ग्रीष्मकालीन प्याज की रोपाई नवंबर और जनवरी के बीच होती है और कटाई मार्च में शुरू होती है. अब, ग्रीष्मकालीन प्याज की खेती समाप्त हो गई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल, उत्तरी महाराष्ट्र के चार जिलों में ग्रीष्मकालीन प्याज रोपण का क्षेत्र 2.50 लाख हेक्टेयर था. इसमें से अकेले नासिक जिले में 2.21 लाख हेक्टेयर में प्याज रोपा गया था और उत्पादन 53 लाख टन हुआ था. लेकिन कम बारिश के कारण, इस साल ग्रीष्मकालीन प्याज के रोपण का क्षेत्र (5 फरवरी तक) उत्तरी महाराष्ट्र जिले में घटकर 1.50 लाख हेक्टेयर रह गया है, जिसमें नासिक जिले में 1.26 लाख हेक्टेयर भी शामिल है, जो पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत कम है.
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चूंकि ग्रीष्मकालीन प्याज की शेल्फ लाइफ छह महीने से अधिक होती है, इसलिए किसान बेहतर कीमत पाने की उम्मीद से ग्रीष्मकालीन प्याज का भंडारण करना पसंद करते हैं. वे पैसे की आवश्यकता के अनुसार अपनी उपज को थोक बाजारों में बेचने के लिए लाते हैं. चूंकि मई-अक्टूबर की अवधि में प्याज की कोई नई फसल नहीं होती है, इसलिए किसानों द्वारा संग्रहित ग्रीष्मकालीन प्याज इस अवधि के दौरान बाजार की मांग को पूरा करता है.
राज्य कृषि विभाग के अनुसार, पिछले साल मानसून के दौरान कम बारिश के कारण इस साल उत्तरी महाराष्ट्र के चार जिलों में ग्रीष्मकालीन प्याज की खेती पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत कम हो गई है. नासिक प्याज का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है. पिछले वर्ष (2022-23) नासिक जिले में ग्रीष्मकालीन प्याज का रोपण 2.21 लाख हेक्टेयर था, लेकिन इस वर्ष (2023-24) ग्रीष्मकालीन प्याज का रोपण घटकर 1.26 लाख हेक्टेयर रह गया है. धुले जिले में ग्रीष्मकालीन प्याज की खेती पिछले साल के 16,000 हेक्टेयर से घटकर इस साल 14,326 हेक्टेयर रह गई है.
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जलगांव जिले में, ग्रीष्मकालीन प्याज की खेती पिछले साल के 9,481 हेक्टेयर से घटकर इस साल 6,841 हेक्टेयर रह गई है. नंदुरबार जिले में, ग्रीष्मकालीन प्याज का रोपण पिछले साल के 2,108 हेक्टेयर से मामूली बढ़कर इस साल 2,826 हेक्टेयर हो गया है. ग्रीष्मकालीन प्याज की खेती में गिरावट के साथ, इस वर्ष उत्पादन घटकर 35 लाख टन होने का अनुमान है. ऐसे में जानकारों का कहना है कि इसका असर महंगाई पर भी पड़ सकता है. प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.
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