आज के समय में लोग का ध्यान खेती की तरह अधिक बढ़ता जा रहा है. खासकर अगर युवाओं की बात करें तो वो 9 टु 6 की नौकरी छोड़ अब खेती में अपना किस्मत आजमा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्हें सफलता भी मिल रही है. दरअसल अधिक आय की खोज में आज के युवा कुछ हटकर करने की कोशिश में लगे हैं. ऐसे में उनके लिए खेती एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही युवा के बारे में जो खेती कर 8 लाख का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. क्या है इनकी कहानी आइए जानते हैं.
ये कहानी बिहार के आशुतोष पांडे की है. आशुतोष पांडे विभिन्न सब्जियों की खेती इस तरह से कर रहे है कि उनका साल भर उत्पादन सुनिश्चित हो सके. उन्होंने ऑफ-सीजन बाजारों में पकड़ बनाने के उद्देश्य से आलू, बीन्स, शिमला मिर्च, लोबिया और धनिया का उत्पादन किया. आशुतोष ने 0.25 हेक्टेयर क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की और पिछली फसल की तुलना में अच्छा प्रॉफ़िट बनाने में सफल हुए. वर्ष-2017 में उन्होंने अपनी जमीन में 0.4 क्षेत्रफल में स्ट्रॉबेरी की खेती की थी. उनकी राह पर चलते हुए कुछ पड़ोसी किसानों ने भी स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू कर दी है.
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आशुतोष ने 5 टन/एकड़ स्ट्रॉबेरी फलों की कटाई की और उन्हें 100 से 200 रुपये की कीमत पर बेचा. उन्होंने चौड़ी क्यारी में आलू और सेम की खेती की और प्रत्येक क्यारी में आलू और सेम के बीज की दो पंक्तियाँ लगाईं. उन्होंने आलू की उपज 140 क्विंटल/एकड़ और हरी फलियों की उपज 50-55 क्विंटल/एकड़ प्राप्त की. उन्होंने धनिया का भी उत्पादन किया.
बक्सर कृषि विज्ञान केंद्र का मुख्य हस्तक्षेप स्ट्रॉबेरी की अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री और उनका भंडारण और मार्केटिंग प्रदान करना था. उच्च मूल्य वाली फसलें, जैसे आलू, सेम और सब्जी लोबिया के उत्पादन ने होटलों और स्थानीय बाजारों की अधिक मांग के कारण अधिक रिटर्न दिया. स्ट्रॉबेरी की खेती अधिक लाभदायक है और इससे रोजगार सृजन और ग्रामीण युवाओं को स्मार्ट खेती की ओर आकर्षित होने का अवसर मिलता है.
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