केंद्र सरकार द्वारा देश के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाओं को चलाया जा रहा है. इन योजनाओं का मकसद किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाना है, ताकि उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सके. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए कृषि के बाद आय का सबसे बड़ा स्त्रोत पशुपालन है. यही वजह है कि मौजूदा वक्त में भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है.
किसानों की आय में ज्यादा से ज्यादा वृद्धि और पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना (Rashtriya Gokul Mission Yojana) की शुरुआत की है. इस योजना के अंतर्गत किसानों और पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ ही वैज्ञानिक तरीके से दूध में वृद्धि करने के बारे में बताया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के बारे में विस्तार से-
पशुपालकों के आय में बढ़ोतरी के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2014 में 2025 करोड़ रुपये के बजट के साथ राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना की शुरुआत की गयी थी. वहीं, सरकार द्वारा इस योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी नस्ल के गौवंश तथा दुधारू पशुओं को बढ़ावा देने के अलावा इन पशुओं में होने वाली विभिन्न प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाना है. इसके साथ ही बहुत से ऐसे किसान हैं, जो विदेशी नस्ल के दुधारू पशुओं का पालन करते हैं, लेकिन क्लाइमेट चेंज होने की वजह से सामंजस्य न बैठ पाने की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है. ऐसे में केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ योजना के अंतर्गत स्वदेशी नस्लों को बढ़ावा देने के साथ-साथ विदशी नस्लों के पशुओं के संरक्षण तथा दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर कार्य कर रही है.
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का उद्देश्य
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है-
• स्वदेशी नस्ल के दुधारू पशुओं का विकास करने के अलावा संरक्षण करना.
• नस्ल सुधार कार्यक्रम का आयोजन करना ताकि स्वदेशी नस्ल के दुधारू पशुओं की संख्या में वृद्धि की जा सके.
• राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के माध्यम से लाल सिंधी, गिर, थारपरकर और साहीवाल आदि जैसी स्वदेशी नस्लों का उपयोग करके अन्य नस्लों की गायों का विकास करना.
• किसानों के दुधारू पशुओं के गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination – AI) की सुविधा उनके द्वार पर उपलब्ध कराना.
• इस योजना के अंतर्गत उच्च आनुवंशिक वाले सांडों का वितरण किया जाएगा.
• योजना का लाभ प्राप्त करनें के लिए आवेदक भारत का मूल निवासी होना चाहिए.
• आवेदक का उम्र 18 वर्ष से अधिक होना चाहिए.
• राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अंतर्गत सिर्फ छोटे किसान और पशुपालक ही आवेदन कर सकते हैं.
• सरकारी पेंशन पाने वाले पशुपालकों या किसानों को इस योजना के लिए पात्र नहीं माना जाएगा.
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का प्रभाव
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के अनुसार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कार्यान्वयन और भारत सरकार द्वारा किए गए अन्य उपायों की वजह से देश में दूध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 220.78 मिलियन टन हो गया है, जो कि पिछले 8 वर्षों के दौरान 6.3% प्रति वर्ष है. दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने और देश के ग्रामीण किसानों के लिए डेयरी को अधिक लाभकारी बनाने के लिए यह योजना दुग्ध उत्पादन और गोवंश की उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
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