बीते दो-तीन साल की बात करें तो दूध के बेहताशा दाम बढ़े हैं. डेयरी कंपनियों ने तीन महीने में दो-दो बार दूध के दाम बढ़ाए हैं. जिसका सीधा असर ग्राहक की जेब पर पड़ता है. एक बार को तो ग्राहक भी सोचने को मजबूर हो जाता है कि दूध पर ऐसी कौन सी गाज गिर रही है जो लगातार दाम बढ़ रहे हैं. गर्मियों में दूध के दाम बढ़ने का गणित तो ग्राहक निकाल लेता है, लेकिन जब सर्दियों में दाम बढ़ते हैं तो रिटेल ग्राहक सोचने को मजबूर हो जाता है. और बीते तीन साल से यही हो रहा है.
गर्मियों की बात तो छोड़िए सर्दियों में भी दूध के दाम बढ़ रहे हैं. दाम बढ़ने के पीछे की वजह क्या. है, ऐसे वो कौन से बड़े कारण हैं जो डेयरी कंपनियां लगातार दाम बढ़ाने को मजबूर हैं. इन्हीं सब वजह को जानने के लिए किसान तक ने बात की गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (गडवासु), लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रंजीत सिंह से.
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वीसी डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने किसान तक को बताया कि पशुपालन में जो सबसे ज्यादा खर्च होता है वो चारा यानि फीड पर होता है. एक मोटे अनुमान के मुताबिक पशुपालक का फीड पर 75 से 80 फीसद तक खर्चा आता है. अब अगर गाय-भैंस से अच्छा और ज्यादा दूध चाहिए तो अच्छा फीड भी खिलाना होगा. और अच्छा फीड बनता है मक्का और सोयाबीन से. हालांकि मौसम और जरूरत के हिसाब से पशुओं को बाजरा भी दिया जाता है. लेकिन बीते कुछ साल से मक्का और सोयाबीन का बाजार देखें तो उनके दाम आसमान को छू रहे हैं. और सबसे बड़ी बात ये भी है कि देश का बड़ा पोल्ट्री कारोबार भी मक्का और सोयाबीन का इस्तेमाल फीड के लिए करता है. सर्दियों में उसे भी बाजरे की जरूरत पड़ती है. एमएसपी तय होने के बाद से तो इनके दाम और बढ़ गए हैं.
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वीसी डॉ. इन्द्ऱजीत सिंह ने एक और चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि खासतौर से कोरोना के बाद से दूध और दूध से बने दूसरे प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है. साल 2020 के बाद से दूध और उसके प्रोडक्ट की डिमांड हर साल करीब 10 फीसद बढ़ रही है. जबकि दूध उत्पादन की बात करें तो वो सिर्फ छह फीसद की दर से ही बढ़ रहा है. ये जो चार फीसद का गैप है ये भी दूध के दाम बढ़ने की बड़ी वजह में शुमार है. क्योंकि बाजार का तो सीधा सा फंडा है कि जिसकी डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम हो तो उसके दाम तो बढ़ ही जाते हैं.
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