हरियाणा में सरकार ने गन्ने के दाम बढ़ाए हैं. प्रति कुंटल 10 रुपये यानि 10 पैसे किलो की बढ़ोतरी की गई है. गौरतलब रहे गन्ने के दाम बढ़ाने के लिए किसान आंदोलन कर रहे थे. शुगर मिल को बंद करा दिया था. मिल में गन्ना लेकर नहीं आ रहे थे. जिसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने 10 रुपये प्रति कुंटल बढ़ाने का ऐलान किया था. लेकिन 10 पैसे किलो की बढ़ोतरी को किसान अपने साथ हुआ एक भद्दा मजाक बता रहे हैं. उनका कहना है कि गन्ने पर 10 पैसे किलो बढ़ाना तो ऊंट के मुंह में जीरे जैसा भी नहीं है. 10-20 रुपये का गन्ना तो हम फ्री में ही खिला देते हैं.
किसानों का आरोप है कि सरकार ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ. जब तक गन्ने का भाव 450 रुपये प्रति क्विंटल नहीं किया जाएगा, किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और शुगर मिल बंद रहेंगी. शुगर मिल बंद होने से किसानों को कोई नुकसान नहीं हो रहा है.
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कंडेला, जींद के किसान रामफल कंडेला ने किसान तक को बताया कि गन्ने के उचित दाम न बढ़ाने और 10 रुपये बढ़ाने के पीछे हरियाणा सरकार तर्क दे रही है कि मिल घाटे में चल रही हैं. लेकिन सरकार यह भी तो बताए कि चीनी मिल आखिर किसकी वजह से घाटे में चल रही हैं. असल में चीनी मिलों के घाटे में चलने के असली गुनाहगार सरकार के अफसर और नेता हैं. इनकी बंदरबांट के चलते ही मिलों को नुकसान पहुंचा है.
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जींद की किसान महापंचायत में आए किसान छज्जूराम ने किसान तक से बात करते हुए कहा कि गन्ने की असली मलाई तो मिल वाले खा रहे हैं. किसान के हिस्से में तो छिलका आ रहा है. एक क्विंटल गन्ने में से 10.30 किलो तक चीनी निकाल रहे हैं. खोई से बिजली बनाने के साथ ही उसे 5 रुपये किलो तक बेच रहे हैं. शीरा शराब बनाने के लिए जा रहा है. इथेनॉल पेट्रोल में मिलाने के लिए तेल कंपनियों को बेच रहे हैं. किसान को अभी तक 362 रुपये दे रहे थे. उसमे भी तमाम तरह की कटिंग होती है. हमारी मांग है कि सरकार कम से कम गन्ने के सम्मानजनक रेट तो दे. आज के बाजार हालात को देखते हुए तो रेट बढ़ाए.
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