महाराष्ट्र का बीड जिला जिसे राज्य में रेशम का प्रमुख उत्पादक है. इस समय जिले की मंडी में किसानों को रेशम का अच्छा दाम मिल रहा है. मंडी में सफेद रेशमी कोष की कीमत 5800 रुपये तक मिल रही है. वहीं बीड बाजार समिति में प्रतिदिन सात से आठ टन रेशम कोष की खरीद होती है. न केवल बीड जिले बल्कि पड़ोसी जालना और परभणी जिले के किसान भी इस बाजार में रेशम कोष बेचने के लिए ला रहे हैं. इसलिए पिछले कई महीनों में रेशम किसानों के अच्छे दिन आने की तस्वीर सामने आ रही है. तीन महीने पहले जिले के किसानों के लिए बंद पड़ा रेशम क्रय केंद्र अब बीड़ बाजार समिति में नये निदेशक मंडल द्वारा शुरू किया गया है.
इसलिए अब बीड जिले के किसानों को अन्य स्थानों पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जिले में रेशम बेचने के लिए एक सही बाजार किसानों को मिल गया है. किसानों को रेशम का अच्छा भाव भी मिल रहा है. सूखे और ओलावृष्टि के कारण खेती को हो रहे लगातार नुकसान को देखते हुए बीड जिले के अधिकांश किसानों ने अब रेशम उत्पादन की ओर रुख कर लिया है. इतना ही नहीं, बीड जिला अब महाराष्ट्र में रेशम उत्पादन का केंद्र बनता जा रहा है. पहले किसानों को अपना रेशम बेचने के लिए जालना और दूसरे जिलों में जाना पड़ता था. इससे उनकी परिवहन लागत अधिक आती थी, लेकिन अब रेशम खरीदने का बाजार बीड़ में ही उपलब्ध हो गया है. ऐसे में इस स्थान पर रेशम कोष की बिक्री के बाद एक से दो दिन के अंदर ही नकदी मिलने से किसानों को काफी आर्थिक लाभ हो रहा है.
वर्तमान में मराठवाड़ा में रेशम खरीद केंद्रों में से सबसे ज्यादा रेशम बीड के रेशम खरीद केंद्र पर खरीदा रहा है. यहां हर दिन लगभग सात टन से ज्यादा रेशम खरीदा जा रहा है. नांदेड़ समेत अन्य जिलों के किसान भी रेशम बेचने के लिए यहां आ रहे हैं. तो वहीं किसानों के हित के लिए बाजार समिति की ओर से रेशम प्रसंस्करण उद्योग भी स्थापित करने का फैसला किया जा रहा है.
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पहले बीड जिले के किसान रेशम कोष को बेंगलुरु के रामनगर बाजार या जालना में बेचते थे. लेकिन बेचने के बाद भी उन्हें एक से दो महीने के बाद भुगतान मिलता था. कभी-कभी ये किसान व्यापारियों द्वारा ठगे भी जाते थे. किसानों का कहना है कि अब बीड में सही बाज़ार उभर कर सामने आया है. इससे जिले के किसानों को फायदा हो रहा है. क्योंकि रेशम की कीमत 40,000 से 50,000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही है.
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