भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के वैज्ञानिकों ने कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs), कृषि और किसान कल्याण विभाग और अन्य संस्थानों की मदद से हाल की बेमौसम बारिश के कारण गेहूं की फसल को हुए नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है. टीम के सदस्य हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में नुकसान का आकलन कर रहे हैं. वही नुकसान का आकलन करने के लिए वैज्ञानिकों की तीन टीमों ने हाल ही में विभिन्न जिलों का दौरा किया. वे जलभराव और अनाज की गुणवत्ता का भी विश्लेषण कर रहे हैं. वैज्ञानिक जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं.
आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, 'हमारे वैज्ञानिकों ने बारिश के कारण गेहूं की फसल को हुए नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है. वे खेतों में स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं.” उन्होंने आगे कहा, "मैं वर्तमान में गेहूं की फसल को हुए नुकसान के बारे में कॉमेंट नहीं कर सकता, वैज्ञानिकों से रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है."
डॉ. अनुज कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, IIWBR, जिन्होंने हाल ही में कैथल, अंबाला, यमुनानगर, करनाल और कुरुक्षेत्र जिलों में खेतों का दौरा किया है, ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट ICAR-IIWBR निदेशक कार्यालय को सौंपेंगे. डॉ अनुज ने आगे कहा, “मुझे मूसलाधार बारिश के कारण कई जगहों पर ठहरने की जरूरत पड़ी. खेतों में जलभराव भी देखा गया है. हमने स्थिति की समीक्षा करने के लिए किसानों से भी बातचीत की.”
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एक अन्य कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि मार्च-अप्रैल 2022 में हीटवेव की वजह से गेहूं के उत्पादन पर प्रभाव पड़ा था. वे 2021-22 में 112 मिलियन मीट्रिक टन की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन मार्च और अप्रैल में हीटवेव के कारण, यह 2020-21 में 109.59 मिलियन मीट्रिक टन की तुलना में 106.84 मिलियन मीट्रिक टन तक सीमित था. मौजूदा सीजन में वे 112 मिलियन मीट्रिक टन के उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने कहा कि बेमौसम बारिश के कारण कैथल जिले में 8,000 एकड़ में लगी फसल चौपट हो गई है. वही डीडीए करम चंद ने किसानों से नुकसान की जानकारी 72 घंटे के भीतर ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर देने का आग्रह किया है.
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