Goat Vaccination: बकरियों को बीमा‍री से बचाने वाले ये सभी टीके फ्री लगते हैं, पढ़ें डिटेल 

Goat Vaccination: बकरियों को बीमा‍री से बचाने वाले ये सभी टीके फ्री लगते हैं, पढ़ें डिटेल 

Free Goat Vaccination पशु छोटे हों या बड़े सभी में कुछ एक जैसी ही बीमारियां आती हैं. और इन्हें कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि वक्त रहते पशुओं का वैक्सीनेशन कराया जाए. अगर आप बकरियों का वैक्सीनेशन कराना चाहते हैं तो आपको इसके लिए रुपये भी खर्च नहीं करने होंगे. सभी सरकारी पशु अस्पताल में ये एकदम फ्री लगते हैं. पेट के कीड़ों की दवाई भी फ्री खि‍लाई जाती है. 

Advertisement
Goat Vaccination: बकरियों को बीमा‍री से बचाने वाले ये सभी टीके फ्री लगते हैं, पढ़ें डिटेल बकरियों को हर रोज दें ये खुराक

न सिर्फ मॉनसून यानि बरसात का मौसम बल्कि  गर्मी और सर्दियों का मौसम भी बीमारियों वाला होता है. क्योंकि कुछ ऐसी बीमारी हैं जिन्हें मौसमी बीमारी कहा जाता है. ये मौसम के साथ ही आती हैं और चली जाती हैं. लेकिन बकरे-बकरियों की कुछ जानलेवा बीमारियां ऐसी भी हैं जो मौसम के हिसाब से सक्रिोय होती हैं. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार ने किसान तक को बताया कि इसमे से ज्यादा बीमारी वो हैं जिनका कोई इलाज नहीं है. इन्हें सिर्फ वैक्सीनेशन से ही कंट्रोल किया जा सकता है. 

कौन-कौनसे टीके फ्री लगवाए जा सकते हैं

सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार ने किसान तक को बताया कि उम्र, मौसम और बीमारी के हिसाब से बकरियों को तमाम तरह की बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण सीआईआरजी की ओर से जारी किए गए चार्ट को देखकर ही कराना चाहिए. जैसे, 

टीकाकरण कार्यक्रम 

  • पीपीआर (बकरी प्लेग)- 3 महीने की उम्र पर. बूस्टर की जरूरत नहीं है. 3 साल की उम्र पर दोबारा लगवा दें. 
  • इन्टेरोटोक्समिया- 3 से 4 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद. हर साल एक महीने के अंतर पर दो बार.
  • खुरपका- 3 से 4 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद. 6 महीने बाद दोबारा. 
  • बकरी चेचक- 3 से 5 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के एक महीने बाद. हर साल लगवाएं. 
  • गलघोंटू- 3 महीने की उम्र पर पहला टीका. बूस्टर डोज पहले टीके के 23 दिन या 30 दिन बाद. 

पैरासाइट 

  • कुकडिया रोग- दो से तीन महीने की उम्र पर दवा पिलाएं. 3 से 5 दिन तक पिलाएं. 6 महीने की उम्र पर दवा पिलाएं. 
  • डिवार्मिंग- 3 महीने की उम्र में दवाई दें. बरसात शुरू होने और खत्म होने पर दें. सभी पशुओं को एक साल दवा पिलाएं. 
  • डिपिंग- दवाई सभी उम्र में दी जा सकती है. सर्दियों के शुरू में और आखिर में दें. सभी पशुओं को एक साथ नहलाएं. 

रेग्यूलर जांच

  • ब्रुसेलोसिस- 6 महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. जो पशु संक्रमित हो चुका है उसे गहरे गड्डे में दफना दें.  
  • जोहनीज (जेडी)- 6 महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. संक्रमित पशु को फौरन ही झुंड से अलग कर दें. 

निष्कर्ष-

सभी तरह के पशुओं के लिए ये मौसम परेशानी वाला होता है. पशुपालक बरसात के मौसम में थोड़ा सा अलर्ट हो जाएं तो पशुओं को जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो बरसाती बीमारियों की रोकथाम के लिए सबसे बढि़या उपाय है टीकाकरण. 

ये भी पढ़ें-Egg Export: अमेरिका ने भारतीय अंडों पर उठाए गंभीर सवाल, कहा-इंसानों के खाने लायक नहीं...बताई वजह

ये भी पढ़ें-Fish Catching: घट गया समुद्र से मछली पकड़ना, इतने हजार टन कम कम पकड़ी गईं मछली, ये हैं दो बड़ी वजह

POST A COMMENT