भारतीय रेल में सफर के दौरान अक्सर ऐसी शिकायतें और तस्वीरें सामने आती हैं, जिनमें रेल यात्री फर्जी और अवैध वेंडरों का शिकार हो जाते हैं. इसी समस्या पर लगाम लगाने के लिए उत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल की ओर से वाराणसी से एक नई मुहिम शुरू की गई है. इसके तहत सभी लाइसेंसी वेंडर्स को रेलवे की तरफ से QR कोड बेस्ड आईडी कार्ड जारी किए जा रहे हैं.
इस आईडी कार्ड में न केवल वेंडर की बड़ी तस्वीर, नाम, ब्लड ग्रुप और पता होता है, बल्कि एक QR कोड भी होता है, जिसे स्कैन कर यात्री वेंडर की पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं. फिलहाल वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर अलग-अलग स्थानों पर कुल 20 वेंडर्स को QR कोड बेस्ड आईडी कार्ड जारी किए जा चुके हैं. जबकि लगभग 70 कार्ड और जारी होने हैं, जिनमें से 25 की प्रक्रिया जारी है.
रेल कोच रेस्टोरेंट, वेलकम लाउंज, AC वेटिंग रूम, प्लेटफॉर्म 8-9 और प्लेटफॉर्म 4-5 पर स्थित स्टॉल्स के वेंडर्स को ये नए कार्ड मिल चुके हैं.
QR स्कैन कर यात्री को मिली जानकारी
मुंबई से वाराणसी आए यात्री राकेश, अपने परिवार के साथ कैंट रेलवे स्टेशन स्थित रेल कोच रेस्टोरेंट में भोजन कर रहे थे. उसी दौरान उनकी नजर वेंडर के आईडी कार्ड पर बने QR कोड पर पड़ी. उन्होंने तुरंत अपने मोबाइल से स्कैन किया और पाया कि उन्हें खाना परोसने वाले का नाम श्रीकांत है, जो कार्ड पर दी गई जानकारी से मेल खा रहा था.
राकेश ने कहा, “रेलवे की यह पहल बहुत अच्छी है. अकसर यात्री फर्जी वेंडर्स और खराब खाने के शिकार हो जाते हैं. इस नए आईडी कार्ड से हमें वेंडर की वैधता की पुष्टि हो रही है. ऐसी सुविधा देश के हर रेलवे स्टेशन और ट्रेन में होनी चाहिए.”
वहीं एक अन्य यात्री अभिषेक ने भी बताया, “इससे यात्रियों में वेंडर्स को लेकर भ्रम की स्थिति खत्म हो रही है. यह एक सराहनीय कदम है.”
पहचान पुख्ता हुई, ग्राहक भी संतुष्ट
रेल कोच रेस्टोरेंट में काम कर रहे वेंडर्स श्रीकांत और अजीत ने बताया कि उन्हें यह नया आईडी कार्ड पाकर खुशी हो रही है. इससे न केवल वे खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, बल्कि उनकी पहचान भी पुख्ता हो गई है. अब ग्राहक उनका QR कोड स्कैन करके उनकी वैधता जांच सकते हैं.
स्टेशन डायरेक्टर ने बताया QR कोड आधारित कार्ड का मकसद
वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन लके स्टेशन डायरेक्टर अर्पित गुप्ता ने बताया कि पहले वेंडर्स द्वारा बनाए गए आईडी कार्ड में कई तरह की भिन्नताएं होती थीं. किसी में फोटो स्पष्ट नहीं होती थी, किसी में पता अधूरा लिखा होता था.
रेलवे बोर्ड द्वारा जारी सर्कुलर और मंडल कार्यालय से आए आदेशों के तहत अब एक यूनिफॉर्म साइज, रंग और टेक्स्ट वाला आईडी कार्ड जारी किया जा रहा है.
नई आईडी में वेंडर की बड़ी तस्वीर, QR कोड, और पूरा विवरण दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि QR कोड की मदद से फर्जी आईडी पर रोक लगेगी, और कोई भी यात्री वेंडर की पहचान तुरंत मोबाइल से स्कैन कर सत्यापित कर सकेगा. इससे अलग-अलग आईडी कार्ड के कारण होने वाली भ्रम की स्थिति भी खत्म होगी.
रेल कोच रेस्टोरेंट से इसकी शुरुआत कर दी गई है, क्योंकि लाइसेंस प्राप्त करने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी होता है. वेरिफिकेशन पूरा होते ही सभी वेंडर्स को नए QR कोड बेस्ड आईडी कार्ड मिल जाएंगे.
किसानों को भी हो सकता है फायदा
1. भरोसेमंद सप्लाई चेन से किसानों की उपज को बेहतर बाजार मिलेगा.
2. स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ सकती है.
3. फर्जी वेंडर्स के हटने से उत्पादों की क्वालिटी में सुधार
4. किसानों से खरीदने वाली एजेंसियों पर निगरानी आसान होगी.
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