पंजाब पिछले एक महीने से भीषण बाढ़ की चपेट में है और हरियाणा की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है. देश की कृषि व्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले इन दोनों राज्यों की लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है और कई फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं. खासतौर पर चावल और बासमती की खेती को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक पानी में डूबी फसल ऑक्सीजन की कमी से लगभग पूरी तरह चौपट हो चुकी है. पंजाब से बड़ी मात्रा में यह सुगंधित चावल यूरोप, अमेरिका और एशियाई देशों में निर्यात होता है, लेकिन इस बार बाढ़ के कारण उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है. राज्य राजस्व विभाग के अनुसार, कई इलाकों में खेत 5 से 10 फीट पानी में डूबे हुए हैं. ऐसे हालात में बासमती चावल की कीमतें इस सीजन में 20 से 30 फीसदी या इससे भी ज्यादा बढ़ सकती हैं. साथ ही इसके निर्यात पर भी बड़ा असर पड़ने की संभावना है.
पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियान ने कहा, 'भारी बारिश और बाढ़ के कारण लगभग 6 लाख एकड़ या 2.5 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है. प्रभावित प्रमुख फसलों में बासमती और गैर-बासमती के साथ-साथ कपास भी शामिल है.' सबसे ज्यादा प्रभावित जिले गुरदासपुर, पठानकोट, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर हैं. एपीडा के 2023 के सर्वेक्षण के अनुसार, इन आठ जिलों की राज्य के बासमती चावल क्षेत्र और उत्पादन में संयुक्त हिस्सेदारी 52 प्रतिशत से ज्यादा है. पंजाब ने खरीफ 2023 के दौरान 8.12 लाख हेक्टेयर (lh) क्षेत्र में 3.84 मीट्रिक टन बासमती चावल का उत्पादन किया था. प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, पिछले तीन हफ्तों से कम से कम 1.38 लाख हेक्टेयर खड़ी फसल पानी में डूबी हुई है.
भारी बारिश और बाढ़ के कारण इस साल पंजाब में बासमती उत्पादन में कम से कम 20-25 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है. इससे निर्यातकों को आर्थिक नुकसान हो सकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सप्लाई भी सीमित होगी. साल 2024-25 में भारत के 60.7 लाख टन बासमती चावल निर्यात में पंजाब की लगभग 40 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी ने अखबार हिंदू बिजनेसलाइन से कहा, 'बारिश जारी है, इसलिए यह अनुमान लगाना मुश्किल होगा कि फसलों, जान-माल, मवेशियों और घरों को कितना नुकसान हुआ है.' उद्योग सूत्रों ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि लगभग 1.5 लाख एकड़ में बासमती की फसल प्रभावित हुई है.
खुदियान ने कहा कि राज्य सरकार चिकित्सा सहायता के साथ-साथ मवेशियों के लिए चारे सहित राहत प्रदान कर रही है. मंत्री ने आगे कहा कि चूंकि कई गांव अभी भी पानी में डूबे हुए हैं, इसलिए फसल के नुकसान का आकलन करने में अभी और समय लगेगा. इस खरीफ सीजन में, 29 अगस्त तक पंजाब का कुल फसल क्षेत्र 35.52 लाख हेक्टेयर था, जिसमें बासमती और गैर-बासमती चावल दोनों के अंतर्गत 32.49 लाख हेक्टेयर शामिल है. बाकी फसलों के अंतर्गत कपास के अंतर्गत 1.19 लाख हेक्टेयर, गन्ने के अंतर्गत 0.95 लाख हेक्टेयर और मक्का के अंतर्गत 0.86 लाख हेक्टेयर शामिल हैं.
पंजाब से सटे हरियाणा में भी भारी बारिश और बाढ़ ने खड़ी बासमती की फसलों को नुकसान पहुंचाया है. देश में सुगंधित चावल की इस किस्म के उत्पादन में हरियाणा का 60 फीसदी योगदान है. हरियाणा के सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला तक बासमती की खेती होती है और ये सभी क्षेत्र इस समय बाढ़ का सामना कर रहे हैं.
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