बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में बागवानी और पशुपालन किसानों के लिए नकदी कमाई का बेहतर माध्यम रहे हैं. जहां लीची, आम, केला के साथ अब बिहार के लोग नए उद्यानिक फसलों की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. वहीं, कृषि विभाग की ओर से पपीता की खेती के विस्तार को लेकर सरकार ने पपीता विकास योजना को स्वीकृति प्रदान की है. एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) अंतर्गत 2025-27 तक कुल दो वर्षों की अवधि के लिए इस योजना पर कुल 01 करोड़ 50 लाख 75 हजार रुपये विभाग की ओर से खर्च किए जाएंगे. इसके तहत राज्य के 22 जिलों के किसानों को करीब 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह योजना केंद्र प्रायोजित है, जिसमें केंद्र और राज्य का अंशदान 40-40 प्रतिशत है. इसके साथ ही राज्य योजना मद से 20 प्रतिशत अतिरिक्त टॉप-अप का प्रावधान भी किया गया है, जिससे किसानों को और अधिक लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रति हेक्टेयर पपीता की खेती के लिए विभाग की ओर से 75 हजार रुपये की इकाई लागत तय की गई है. इसके तहत एक पपीता से दूसरे पपीता के पौधे की दूरी 2.2 मीटर होनी चाहिए. वहीं, प्रति हेक्टेयर करीब 2500 पौधे लगाने का लक्ष्य विभाग की ओर से तय किया गया है.
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि पपीता क्षेत्र विस्तार योजना के तहत किसानों को अनुदान की राशि दो चरणों और दो वर्षों में 60ः40 अनुपात में दी जाएगी. इसके तहत प्रति हेक्टेयर इकाई लागत 75 हजार रुपये तय की गई है, जिसमें 40 प्रतिशत केंद्र सरकार और राज्य योजना से अतिरिक्त 20 प्रतिशत टॉप-अप के साथ कुल 60 प्रतिशत अर्थात् 45 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा. वहीं, पहली किस्त के रूप में 27 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और दूसरी किस्त के रूप में 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे.
पपीता क्षेत्र विस्तार योजना के तहत राज्य के 22 जिलों के किसानों को लाभ दिया जाएगा. इनमें भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, लखीसराय, मधेपुरा, बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा, गया, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पश्चिम चंपारण, पटना, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, सहरसा, समस्तीपुर, मधुबनी और वैशाली जिला शामिल हैं. वहीं, इसके तहत किसानों को न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) से अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) तक योजना का लाभ मिलेगा.
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