Punjab Floods: बाढ़ प्रतिरोधी मक्का फसलों के लिए पंजाब की त्रासदी बनी रियल-टाइम टेस्ट लैब, वैज्ञानिकों को मिला महत्वपूर्ण डेटा

Punjab Floods: बाढ़ प्रतिरोधी मक्का फसलों के लिए पंजाब की त्रासदी बनी रियल-टाइम टेस्ट लैब, वैज्ञानिकों को मिला महत्वपूर्ण डेटा

Punjab Floods: पंजाब की भयानक बाढ़ ने अनजाने में बाढ़ प्रतिरोधी मक्का फसलों के परीक्षण के लिए एक प्राकृतिक प्रयोगशाला का निर्माण कर दिया है, जिससे राज्य भर में 1.9 लाख हेक्टेयर क्षतिग्रस्त कृषि भूमि को बहाल करने के लिए काम कर रहे वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध हो गया है.

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बाढ़ प्रतिरोधी मक्का फसलों के लिए पंजाब की त्रासदी बनी रियल-टाइम टेस्ट लैब, वैज्ञानिकों को मिला महत्वपूर्ण डेटालुधियाना संयंत्र में मक्का की 10 हाइब्रिड किस्मों की हो रही थी फील्ड-टेस्टिंग

पंजाब की विनाशकारी बाढ़ ने अनजाने में ही सही पर बाढ़ प्रतिरोधी मक्का फसलों की असल टेस्टिंग के लिए एक प्राकृतिक प्रयोगशाला की तरह काम किया है. इससे राज्य भर में 1.9 लाख हेक्टेयर क्षतिग्रस्त कृषि भूमि को बहाल करने के लिए काम कर रहे वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध हो गया है. पंजाब में जब बाढ़ के पानी ने 1,400 गांवों की कृषि भूमि को जलमग्न किया, तब अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संगठन CIMMYT अपने लुधियाना संयंत्र में मक्का की 10 हाइब्रिड किस्मों की फील्ड-टेस्टिंग कर रहा था. प्रायोगिक हाइब्रिड किस्मों में से चार को विशेष रूप से जल-जमाव सहन करने के लिए ही विकसित किया गया था.

'कुछ ही हफ़्तों में पता चल जाएगा अंतर'

बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (BISA) के प्रबंध निदेशक डॉ. बी. एम. प्रसन्ना ने संवाददाताओं से कहा कि भगवान इन हाइब्रिड किस्मों को टेस्ट कर रहा है. कुछ ही हफ़्तों में, हमें जल-जमाव सहन करने वाले संकर और अतिसंवेदनशील संकर के बीच का अंतर पता चल जाएगा. उन्होंने बताया कि यह बाढ़ पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा CIMMYT-BISA से संपर्क करने के दो सप्ताह बाद आई है, जिसमें उन्होंने तीन विशिष्ट विशेषताओं के साथ उन्नत मक्का हाइब्रिड विकसित करने का अनुरोध किया था. ऐसी किस्में जिनमें जल-जमाव सहिष्णुता, फॉल आर्मीवर्म कीट के प्रति प्रतिरोध और ग्रीष्मकालीन खेती के लिए जल-उपयोग दक्षता हो.

आपदा ने तेज किया टेस्टिंग में लगने वाला समय

ऐसे नियंत्रित परीक्षणों में सामान्य तौर पर सालों का समय लगता है, जिसे इस प्राकृतिक आपदा ने और भी तेज कर दिया है. इससे वास्तविक दुनिया के वेरिफाइड आंकड़े उपलब्ध हुए हैं जो पंजाब के कृषि सुधार प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. CIMMYT के महानिदेशक ब्रैम गोवार्ट्स ने कहा, "हमें तेज़ी से प्रतिक्रिया देनी होगी, क्योंकि मौसम का मिजाज़, जलवायु प्रभाव, विभिन्न चुनौतियां तेजी से आती हैं और ज्यादा अप्रत्याशित होती हैं."

पंजाब के बाढ़ग्रस्त परीक्षण क्षेत्रों से प्राप्त निष्कर्षों से विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा आयोजित आगामी 'डायलॉग नेक्स्ट' सम्मेलन में चर्चा को बल मिलने की उम्मीद है, जहां कृषि वैज्ञानिक और नीति निर्माता दक्षिण एशियाई कृषि के लिए जलवायु अनुकूलन रणनीतियों पर चर्चा करेंगे. सरकारी अनुमान के अनुसार, पंजाब में बाढ़ से गुरदासपुर, कपूरथला, फिरोजपुर और अमृतसर सहित कई जिले प्रभावित हुए हैं और 1.75 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि जलमग्न हो गई है.

पंजाब में इनती कृषि भूमि जलमग्न

गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने भारी बारिश और नदियों के उफान के बाद सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया है. यहां लगभग 1.9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, 1,400 से ज़्यादा गांव बाढ़ की चपेट में हैं और 3.5 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हैं. इनमें गुरदासपुर सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला है जिसके 324 गांव प्रभावित हुए हैं, उसके बाद अमृतसर (135 गांव) और होशियारपुर (119 गांव) हैं. केंद्र सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए दो आकलन दल तैनात किए हैं.

(सोर्स- PTI)

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