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Poultry: अमेरिका और इंडिया के पोल्ट्री कारोबारियों ने मिलाया हाथ, जानें वजह 

Poultry: अमेरिका और इंडिया के पोल्ट्री कारोबारियों ने मिलाया हाथ, जानें वजह 

प्रोटीन संबंधी जागरुकता बढ़ाने के लिए पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) लगातार नेशनल चिकन डे मनाने की मांग कर रही है. इस संबंध में वो पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोतम रूपाला से भी मुलाकात कर चुके हैं. उनकी मांग है कि जैसे नेशनल और वर्ल्ड लेवल पर ऐग डे मनाया जाता है वैसे ही चिकन डे भी मनाया जाए. 

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दो दिन पहले पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) और यूएसए पोल्ट्री एंड एग्स एक्सपोर्ट काउंसिल ने एक बड़ा समझौता किया है. इस समझौते के तहत काम करने के लिए एक एमओयू भी साइन किया गया है. पीएफआई के कोषाध्यक्ष रिकी थापर की मानें तो आने वाले दिनों में अमेरिका और भारत की पोल्ट्री एसोसिएशन देश से प्रोटीन की कमी दूर करने को साथ मिलकर काम करेंगे. इसके लिए अमेरिकन संस्था के साथ मिलकर काम करेंगे. देश में चिकन और अंडे की खपत को बढ़ावा देने के लिए जागरुकता अभियान चलाए जाएंगे. सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी. 

शेफ द्वारा पोल्ट्री प्रोडक्ट से तैयार की गईं रेसीपी सोशल मीडिया पर शेयर की जाएंगी. दोनों संस्थाओं के बीच हुए समझौते के दौरान न्यूट्रीशन मानक बढ़ाने और पोल्ट्री सेक्टर में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई और साथ मिलकर काम करने के सहयोग का वादा किया गया है.

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जानें क्या बोले अमेरिकन संस्था के पदाधिकारी 

इस मौके पर यूएसए पोल्ट्री एंड एग एक्सपोर्ट काउंसिल के अध्यक्ष और सीईओ ग्रेग टायलर ने कहा कि इस सकरात्माक समझौते में शैक्षिक, रिसर्च, विकास और बाजार के अवसरों के विस्तार और न्यूट्रीशन संबंधी जागरूकता बढ़ाने के अभियानों पर काम किया जाएगा. दोनों संस्थाओं के एक्सपर्ट मिलकर पोल्ट्री प्रोडक्ट के न्यूसट्रीशन संबंधी लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी काम करेंगे. इस मौके पर दोनों संस्थाओं ने कारोबार से जुड़े पहलूओं पर भी चर्चा की. यूएसए सोयाबीन और मकई उत्पादक किसान, विशिष्ट होटलों के स्टार शेफ और कमोडिटी सदस्य भी इस समझौत के दौरान मौजूद थे. 

पहले भी चल चुका है प्रोटीन अवेयरनेस प्रोग्राम 

इस मौके पर पीएफआई की ओर से मौजूद रहे रमेश खत्री पीएफआई के प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं. वर्तमान में वो पीएफआई के चेयरमेन हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी अमेरिका की पोल्ट्री फेडरेशन के साथ मिलकर देश में 50 जगहों पर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जा चुका है. रमेश खत्री ने किसान तक को बताया कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश के लोगों में प्रोटीन की बहुत कमी पाई जाती है. इसलिए ये जरूरी है कि लोगों को बताया जाए कि किस आइटम को खाने से कितना प्रोटीन हमारे शरीर को मिलता है. ये बात सही है कि कम दाम में ज्यादा प्रोटीन देने वाला चिकन है. 

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एक्सपर्ट के मुताबिक जितना शरीर का कुल वजन होता है उसका उतने ही ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. जैसे किसी का वजन 80 किलो है तो उसे हर रोज 80 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होगी. इसलिए जो चिकन खा सकते हैं तो वो कम पैसों में ज्यादा प्रोटीन ले सकते हैं. दिल्ली में हुए इस समझौत के दौरान देवना खन्ना, क्ले एम हैमिल्टन, कृषि मंत्री काउंसलर, संजीव गुप्ता, परवीन कुमार और जगदीश थे.