e-NAM का बड़ा कमाल, नासिक में हड़ताल के बीच बिका 22 करोड़ का प्याज

e-NAM का बड़ा कमाल, नासिक में हड़ताल के बीच बिका 22 करोड़ का प्याज

e-NAM: ई-नाम एक राष्ट्रव्यापी इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है, जिसकी शुरुआत 14 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इसका मकसद 'वन नेशन वन मार्केट' है. ई-नाम ने किसान और खरीदार के बीच से बिचौलियों को खत्म कर दिए हैं.

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e-NAM का बड़ा कमाल, नासिक में हड़ताल के बीच बिका 22 करोड़ का प्याजनासिक में हड़ताल के बीच बिका 22 करोड़ का प्याज

नासिक प्याज व्यापारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच  केंद्र सरकार ने e-NAM प्लेटफॉर्म पर अंतरराज्यीय व्यापार की अधिक मात्रा की सुविधा देने पर विचार कर रही है. राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) ने पिछले तीन हफ्तों में ऑनलाइन ट्रेडिंग के माध्यम से महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी से हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, नागालैंड, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में लगभग 2,000 टन प्याज बेचा है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, '' e-NAM पर अंतरराज्यीय व्यापार हो रहा है और लोगों को यह बात बताई जा रही है कि एनसीसीएफ कहीं भी आपूर्ति करने के लिए क्वालिटी वाले प्याज के साथ तैयार है.

प्याज की बिक्री बढ़ाने की जरूरत

एक अधिकारी ने कहा कि प्याज बिक्री को बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि केवल मंडियों में खरीदारी करने का कोई आदेश नहीं है. साथ ही बुनियादी ढांचे की भी जरूरत है क्योंकि कोई तत्काल विकल्प नहीं मिल सकता है. व्यापारियों का दावा है कि नेफेड और एनसीसीएफ नासिक के किसानों से प्याज खरीदते हैं और उन्हें व्यापारियों द्वारा थोक खरीदारों को दी जाने वाली कीमत से काफी कम कीमत पर दूसरे राज्यों में एपीएमसी को बेचते हैं. यह ट्रेंड उनके राज्य के बाहर व्यापार को प्रभावित कर रही है.

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सूत्रों के अनुसार, एनसीसीएफ और नेफेड द्वारा eNAM प्लेटफॉर्म के माध्यम से अब तक 22 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 10,200 टन से अधिक प्याज बेचे गए हैं. नेफेड ने बाकी 5,300 टन eNAM के माध्यम से बेचा है.

क्या है e-NAM

दरअसल, ई-नाम एक राष्ट्रव्यापी इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है, जिसकी शुरुआत 14 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इसका मकसद 'वन नेशन वन मार्केट' है. यह प्लेटफॉर्म इसलिए पारंपरिक मंडियों के ट्रेड से अलग है क्योंकि इसमें विक्रेता और क्रेता के बीच से कई तरह के बिचौलियों की भूमिका खत्म होती है. ई-नाम ने किसान और खरीदार के बीच से बिचौलियों को खत्म कर दिए हैं. इससे जुड़े किसान बिचौलियों और आढ़तियों पर निर्भर नहीं हैं. ऐसे में किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा हो रहा है. हालांकि, समय के साथ इसमें और सुधार की जरूरत है, इसलिए अब इसमें बदलाव की कोशिश की जा रही है.

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